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रचनाकारों ने राग द्वेष से परे अपनी रचनाधर्मिता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए : डॉ. सागर खादीवाला


अविशा प्रकाशन की तीन कृतियों का किया लोकार्पण

नागपुर। अविशा प्रकाशन की तीन कृतियों, डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव कृत ‘डबकी का बेटा’, इन्दिरा किसलय द्वारा रचित ‘बंद किवाड़ों पर दस्तक देती आजादी’, एवं रूबी दास की काव्यकृति ‘मैं बहती कागज की कश्ती’ के लोकार्पण के अवसर पर बोलते हुये मुख्य अतिथि डीम्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. वेदप्रकाश मिश्र ने निरूपित किया कि तीनों कृतियों के मूल में अन्तर्धारा एक है, लय एक है। उन्होंने तीनों किताबों की अंतर्वस्तु का गहन विवेचन विश्लेषण करते हुये, भाषा, शीर्षक एवं शिल्प विन्यास पर विहंगम दृष्टिपात किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सागर खादीवाला ने साहित्यिक बिरादरी से जुड़े हुये प्रश्नों को उपस्थितों के सम्मुख रखा और कहा कि रचनाकारों ने राग द्वेष से परे अपनी रचनाधर्मिता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। प्रथमतः वाग्देवी के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन के उपरान्त माननीय अतिथियों का पौधे एवं उपहार देकर सत्कार किया गया। श्री शिवणकर का सत्कार रूबी दास ने किया। अविशा प्रकाशन की ओर से इन्दिरा किसलय एवं डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव को गौरव पत्र प्रदान किया गया।

लोकार्पित कृतियों के प्रकाशक साहित्यकार अविनाश बागड़े ने कार्यक्रम के स्वरूप पर दृष्टिक्षेप करते हुये शुभकामनाएं अर्पित कीं। सत्कारमूर्ति डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव ने अपने लघुकथा संग्रह में समाहित लघुकथाओं के सृजन संदर्भ मुखरित किये। साथ ही अपनी अन्य कृतियों की भी चर्चा की। इन्दिरा किसलय ने अपने आलेख संग्रह में स्त्री विमर्श को केन्द्रीय स्वर निरूपित किया। जिसमें विगत दो दशक की सृजन यात्रा के पड़ाव अंकित हुये हैं। बांग्ला साहित्य के स्वाभाविक प्रवाह एवं प्रभाव के स्वीकार के साथ रूबी दास ने अपनी कविताओं में वर्णित विषय वैविध्य की ओर ध्यान खींचा। रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, रेशम मदान एवं पूनम हिन्दुस्तानी ने अतिथियों का परिचय दिया। सुश्री पूनम ने कार्यक्रम की सज्जा में शानदार सहयोग दिया।

इस अवसर पर नगर की गणमान्य विभूतियां  सदन में उपस्थित थीं। सर्वश्री/ श्रीमती/सुश्री वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती पूर्णिमा पाटिल,पॉवर ऑफ वन के संपादक नीरज श्रीवास्तव, रा तु म वि वि के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय, ख्यात साहित्यकार संतोष पाण्डेय बादल, स्नेहा पाण्डेय, सत्येन्द्रप्रसाद सिंह, चर्चित व्यंग्यकार टीकाराम साहू आजाद, किरण मूंदड़ा, मधु सिंघी, रति चौबे, आदेश जैन, कृष्णकुमार द्विवेदी, संतोष बुधराजा, रंजना श्रीवास्तव,माधुरी राऊलकर, आदिला खादीवाला, प्रभा मेहता, धृति बेडेकर, डॉ. शीला भार्गव,पूनम मिश्रा,हेमलता मानवी,ममता श्रीवास्तव ,सुजाता दुबे,देवयानी बैनर्जी,नीलम शुक्ला,उमा हरगन,माया शर्मा,अपर्णा चटर्जी, श्रीमती नायडू, भोला सरवर, बाबाराव कांबळे, माधुरी यादव, प्रतिभा सिंह राणा, अमरजीत दास आदि मान्यवरों ने कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिये। व्यंग्य शिल्पी अनिल मालोकर ने अपनी विशिष्ट शैली में आभार माना।
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