बेटी हूँ तुम्हारी
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अंग हूं तुम्हारे शरीर का
खून से सीचा तुमने मुझे
कहो बाबा से प्यार करे
पेट में मत मारे मुझे।
अंदर से सब सुनती हूं मैं
सृष्टि का विस्तार हूं मैं
आपके आँगन का फूल
देवी का रूप हुं मै
पेट में मत मारो मुझे।
अगर लडकी ना होगी
भाई की कलाई कैसे सजेगी
बाबुल की चिड़िया कहाँ उड़ेगी
माँ का दर्द कौन सुनेऐगी
पेट में मत मारो मुझे।
पुरुष से क्या दुनिया चलेगी
दुनिया के तानों को सुनकर
क्यों घात मुझ पर करते हो
दिखा कर दुनिया मुझे
जीवन क्यों छीन लेते हो
पेट में मत मारो मुझे।
- मेघा अग्रवाल
नागपुर महाराष्ट्र