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कुम्हला फूल


जी में आया
तेरी ज़ुल्फें संवार दूं
हिम्मत न हुई।

तुझे लिक्खूं 
एक खत
बयान कर दूं 
मन में इठलाती 
लहरें, 
कलम न उठी।

नजरों से नजरें 
मिला लूं ,
पलकों ने 
कहा न माना।

सोचा कह दूं 
दिल की बातें, 
तुतलाती ज़ुबान 
बेज़ुबां हो गई ।

जाती हुई डोली से
निराश नजरों से
देखा तूने मेरी ओर,
तब मालूम हुआ, 
तूफान तो 
उधर भी था।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य ‘शिव’

   नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 4334201106405414340
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