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शेगावी के संत गजानन महानाट्य से दर्शक हुवें मंत्रमुग्ध


नागपुर। स्वर मंथन, नागपुर शेगावी के संत गजानन द्वारा प्रस्तुत इस महान नाटक ने श्री गजानन महाराज के भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शकों की भारी भीड़ के कारण स्वर्गीय सुरेश भट्ट सभागार की गैलरी में 250 से 300 दर्शकों को अपनी सीट पर बैठना पड़ा। इस इमोशनल ड्रामा का लेखन और निर्देशन प्रभाकर ठेंगड़ी ने किया है. ठेंगड़ी के स्तरीय लेखन और निर्देशक के रूप में इस नाटक को दी गई गतिशीलता के कारण दर्शक दो घंटे तक नाटक में डूबे रहे. मंच पर हो रहे महाराज के चमत्कार पर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सहज प्रतिक्रिया दी। प्रारंभ में राजे मुधोजी भोसले और रानी साहब यशोधरा राजे भोसले और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित किया और श्री गजानन महाराज की पूजा की। 


शार्दुल मोहरिल नामक युवा कलाकार ने गजानन महाराज को जीवंत कर दिया। संचालिका रोहिणी मोहरिल की भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से गजानन महाराज के जीवन की विभिन्न घटनाएं जीवंत हो उठीं। महाराजा के पसंदीदा गाने 'शंभो शंकर करुणाकर' और 'चंदन चावल बेल की पत्तिया' ने दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर लिया। ‘दिंडी चलली चलाली विठ्ठला का दर्शनालय’ दिंडी नृत्य गीत पंढरपुर के दर्शकों तक पहुंचा। ‘शेगावी के संत गजानन समाधिस्थ जाहला’, समाधि गीत और महाराज की समाधि के अवसर पर दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए।


महाराजा के गले में चक्र हार और सिर पर पगड़ी शेगांव मंदिर में वास्तविक मूर्ति की झलक देती थी। उस समय प्रकाश व्यवस्था अद्भुत थी। आंखों से बहते आंसुओं के साथ भक्तों का जमावड़ा बिल्कुल अद्भुत है, अमेय कांबले, दामोदर - मैत्रेय मोह्रिल, देवीदास - कैलास उकुंडे, भवानी राम - विजय पालीवाल, बनकट की मां - रेखा शुक्ला, गोविंद बुआ -, हरि पाटिल, - मोहन पात्रिकर, इस नाटक में अन्य कलाकारों की तरह बनकटा की भूमिका में डॉक्टर - शाम मोहरिल, रिश्तेदार - मुक्ता देशपांडे, सुजाता इंगोले, चंदू मुकीन - नारायण जोशी, चंद्रा, पुतलाबाई - शोभना मोह्रिल, चरवाहे - वसंत यादव, देवांशु उकरे, अभिषेक सिंह हैं। लक्ष, सोहम, भास्कर - दिनेश ठाकरे, गणपति - सुहास पात्रिकर, नारायण, सचिन कांडे, मारुति -ओम बंदेबुचे, कृष्णाजी - सूरज बवाने, बेबी भाई - मंथन उकांडे, बालकृष्ण बुवा - प्रभाकर ठेंगड़ी, भाई कवर - शेखर मंगलमूर्ति, भाभी -लॉ- उज्वला अंधारे, भागी- स्नेहल तांबेकर, शिवराम- दीपक तांबेकर, बैजा- मृण्मयी मोह्रिल, ग्रामीण वीणा उकुंडे, निखारे, अनुश्री कांबले, संजलि पात्रिकर, धनश्री कावड़कर, निखारे, साई इंदुरकर, स्वरा मोह्रिल, मानसी पात्रिकर, थोंबरे, लोकमान्य तिलक-मनीष मोह्रिल एवं सूत्रधार रोहिणी मोह्रिल की सहभागिता भी अवर्णनीय रही।  


इस महानाट्य में कुल 50 कलाकार थे। पार्श्व गायक गुणवंत घाटवई, मनीष मोहरिल थे।  नेपथ्य - देवेन्द्र निखारे, प्रकाश डिजाइन - विशाल यादव, रंग - लालजी, वेशभूषा - कुणाल नवारे और प्रिंट और विजुअल मिक्सिंग - चारुदत्त जिचकर ने तकनीकी पहलुओं को संभाला। निर्माता मोहन पात्रिकर, सह-निर्माता अशोक जर्मन, समन्वयक उज्वला अंधारे, दीपक तांबेकर, समन्वयक- नारायण जोशी, सूत्रधार- मोहन नहातकर, कोरियोग्राफर- मृण्मयी मोहरिल।  प्रकाश एदलाबादकर, प्रकाश देवा, स्वाति मोह्रिल एवं राहुल ठेंगडी ने विशेष सहयोग प्रदान किया।
समाचार 963698547798650922
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