साहित्यकार संतोषकुमार पाण्डेय ‘बादल’ की कृतिद्वय ‘स्पंदन’ एवं ‘राजधर्म’ का लोकार्पण
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नागपुर। सुख्यात साहित्यकार संतोषकुमार पाण्डेय ‘बादल’ की कृतिद्वय- स्पंदन एवं राजधर्म- के लोकार्पण के अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. सागर खादीवाला ने कहा- यह श्री बादल की 26 वीं किताब है। यह उपलब्धि है।कविता उनका प्राण स्वर है लेकिन उन्होंने व्यंग्य, कहानी, आलेख आदि विधाओं पर भी अपनी पकड़ दर्ज की है। राजधर्म एक उपन्यास है।अपनी किताबों पर रॉयल्टी पानेवाले नागपुर के गिनेचुने साहित्यकारों में एक उल्लेखनीय नाम बादल का है।
कार्यक्रम का प्रारंभ वाग्देवी वंदन से हुआ तत्पश्चात ख्यात व्यंग्य शिल्पी श्री अनिल मालोकर ने अतिथियों का अपने विशिष्ट अंदाज़ में परिचय दिया।
अपना मनोगत व्यक्त करते हुये सत्कारमूर्ति श्री बादल ने कहा-वे स्वान्तः सुखाय लिखते हैं। आत्मिक संतुष्टि उनका ध्येय है। सृजन का मूल्यांकन तो सुधीजन करते हैं।वे अपना मत व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र हैं।
एक दशक से राजधर्म की पाण्डुलिपि रखी हुई थी जो अब संस्कारित होकर ‘ज्ञानमुद्रा प्रकाशन भोपाल’ से प्रकाशित होकर आई है।पी.एस.आई. होते हुये अपनी बेदाग छवि का रहस्य उन्होंने अपनी साहित्यिक- चेतना को बताया।
मुख्य अतिथि श्री एस पी सिंह ने बादल की रचनाधर्मिता का समग्र आकलन पेश किया।
डॉ. आभा सिंह ने उपन्यास एवं काव्य संग्रह की मूल प्रवृत्ति एवं कथानक का सूक्ष्म विश्लेषण करते हुये प्रसंगवश महाकवि प्रसाद का स्मरण किया एवं बादल के छायावादी संस्कारों को प्रमुखता से उपस्थितों के सम्मुख रखा।
साहित्यकार अविनाश बागड़े के रोचक संचालन ने श्रोताओं को अंत तक बाँधे रखा। अनिल मालोकर ने आभार माना।
इस अवसर पर भारी संख्या में शहर के शब्दकर्मी एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
सर्व श्रीमती- स्नेहा बादल पाण्डेय, इन्दिरा किसलय, माधुरी राऊलकर, हेमलता मानवी, रूबी दास, पूनम हिन्दुस्तानी, डॉ. मनोज पांडे, टीकाराम साहू आजाद, अजय पाण्डेय, रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, श्री एवं श्रीमती मोहंता, भोला सरवर, चंदा ठाकुर, जयेश मोटवानी, मोहनकुमार, पृथ्वीसिंह भर्तवाल, अशोक खंडेलवाल, आशीष मानकर, प्रदीप ठक्कर, हीना ठक्कर, संजय पायल, नीलम शर्मा, हृदय चक्रधर आदि महानुभावों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।