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आशियाना


‘चल भाग यहां से कब्रस्थान का चौकीदार ने सोते हुए भिखारी को फटकार लगायी’ भिखारी शमशू उठते हुए कहा -"भय्ये सिफ॔ रात भर ही तो सोता हूँ.किसी को क्या तकलीफ हो रही है?"
"अरे भाई समझता क्यों नही.यह कब्रस्थान है.रिश्तेदार एतराज करते है" 
"भला इसमे एतराज की क्या बात है? 

"इन्हे भी तो  सुकून चाहिए.फिर आये दिन जादूटोना के लिए मांत्रिक कब्र खोदकर मूदे॔ गायब करते है.मैने तुझे कई बार समझाया .पर तू बाज़ नही आता" यह कहते हुए साथ आई पुलिस के हवाले कर दिया.पुलिस स्टेशन के दरोगा ने कडक आवाज मे पूछा. ‘क्यो बे मूदे॔ चुराता है’ शमशू डरतेहुए "हूजूर मजबूरी मे सोता हूँ." ‘अब यह सब नहीं चलेगा. कहीं और ठिकाना ढूंढो’

हुजूर कहां ढूंढू.मस्जिद या मंदिर के पास सोता हूं तो हाकाल देते है.धामि॔क या सरकारी संस्थान के आसपास आने नही देते. फूटपाथ पर सोते है तो कब कोई पियक्कड़ गाड़ी में  कुचल दे, कोई भरोसा नहीं.बच गए तो लंगड़ा लूल्ला बनकर ज़िन्दगी गुजारो."
"इसमे पुलिस क्या कर सकती है?"

"कम से कम हमें कब्रिस्तान मे सोने दीजिए .जहां डर की बजाए शांति तो है."
यह सुनकर स्तब्ध होकर दरोगा महात्मा गांधी जी की तस्वीर की ओर देखने लगा.
 

- मोहम्मद जिलानी,

   चन्द्रपुर, महाराष्ट्र
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