हिंदी महिला समिति का हृदय स्पर्शी ‘बेनाम रिश्ते’ पर परिचर्चा संपन्न
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नागपुर। शहर की अग्रणीय संस्था हिंदी महिला समिति के तत्वावधान में एक हृदय स्पर्शी विषय ‘बेनाम रिश्ते’ पर परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में संस्था की सभी साहित्यिक बहनें उपस्थित रही और सभी ने विषय पर अपने सुंदर विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन संस्था की अध्यक्षा रति चौबे ने किया और संयोजन गीतू शर्मा का रहा। सभी बहनों ने सारगर्भित विचार रखे।
सर्वप्रथम गार्गी ने अपना संस्मरण साझा करते हुए बताए की कैसे एक शॉल बेचनेवाले अंजान व्यक्ति से भी मन को अंदर तक छू जानेवाला अनमोल रिश्ता बन गया और बेनाम रिश्ता जीवनभर के लिए यादगार हो गया। तत्पश्चात गीतू शर्मा ने अपनी रचनात्मक कविता द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए जिसमे बेनाम रिश्ते को दोस्ती, प्रेम, आधार जैसे कई संज्ञाएं देकर ये बेनाम रिश्ते कभी कभी जिंदगी भर के साथी भी बन जाते है ये बताए। फिर रतिजी ने अपनी अद्भुत रचनात्मकता और सृजनशक्ति का परिचय देते हुए सुंदर शब्दों से सजी अपनी रचना द्वारा बेनाम रिश्ते को एहसासों से परिपूर्ण संजीवनी करार दिए।
तत्पश्चात भगवतीजी ने अपने विचारों में साझा किए की कैसे एक अनजान व्यक्ति से उनका आजीवन का भाई बहन का अनमोल बंधन बंध गया और बेनाम रिश्ते को नाम मिल गया। फिर सुषमाजी ने अपनी आपबीती बताते हुए अपने घर में काम करनेवाली सहायिका से बने अपने अटूट रिश्ते की मार्मिक अभिव्यक्ति किए बेनाम रिश्ते की ये व्याख्या दिल छू गई।इसके बाद निशाजी ने अपने सुंदर, संक्षिप्त शब्दों में बचपन में मोर, कोयल, चिड़िया और बचपन की गलियों से भी बेनाम सा रिश्ता होता है और वो आज भी इन्हें ढूंढती और महसूस करती हैं ये बताया।
तत्पश्चात अमिताजी ने विदेश में अंजाने में बने अपने मां बेटी के रिश्ते की हृदय स्पर्शी संस्मरण साझा किए और साथ ही ये भी बखूबी समझा दिए की बेनाम रिश्तों में भी आत्मीयता का एहसास होता है। इसके बाद किरणजी ने प्रासंगिक विचार प्रस्तुत करते हुए बताए की कैसे मिलिट्री क्वार्टर में रहने आनेवाले अनजान लोगों के आत्मीय व्यवहार से उनका बेनाम रिश्ता ताउम्र के लिए अनमोल रिश्ता बन गया।
तत्पश्चात नंदिताजी ने नदी के सागर में मिलकर बनानेवाले बेनाम रिश्ते का उदाहरण देकर समिति की सभी बहनों द्वारा आपस में बनाएं गए सुंदर बेनाम से रिश्ते की अति उत्तम व्याख्या किए। इसके बाद निवेदिताजी ने बहुत ही सुंदर तरीके से मुंहबोलें और पड़ोसियों से बने अपने विभिन्न रिश्ते निभाते हुए बेनाम रिश्तों के प्रति अपनी सुंदर भावनाएं व्यक्त किए।
इसके बाद रश्मिजी ने अपने सुंदर संस्मरण को साझा करते हुए बताए की बेनाम रिश्ता ऐसा गूढ़ और आत्मिक बंधन होता है जिसमें पशु पक्षी भी बंध जाते है उनसे भी गहरा लगाव हो जाता है। कार्यक्रम को सफ़ल बनाने हेतु सखियों के उत्साहपूर्ण सहयोग के लिए उपाध्यक्ष्या रेखा पांडे ने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार व्यक्त किए।