आपको अपना अस्तित्व खुद बनाना होगा : किशोर कन्हेरे
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राजनीतिक क्षेत्र में माली समाज के अस्तित्व पर विशेष चर्चा संपन्न
नागपुर। माली समाज के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र के प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की एक विशेष बैठक नागपुर में आयोजित की गई। इस बैठक में ओबीसी संगठन के अध्यक्ष किशोर कन्हेरे के मार्गदर्शन में विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र में माली समाज के अस्तित्व पर चर्चा करते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि भविष्य में माली समाज की राजनीतिक भूमिका क्या होनी चाहिए। अगर माली समाज राजनीतिक क्षेत्र में नहीं है तो आपको कोई कुछ नहीं देगा, इसलिए आपको अपना अस्तित्व खुद बनाना होगा।
बैठक में उपस्थित गणमान्य लोगों ने माली समाज के लोगों से एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का आह्वान किया. बैठक में विदर्भ के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में तैयारी के संकेत दिए गए. विदर्भ पर गौर करें तो 62 विधानसभाओं में 20 से 22 लाख से ज्यादा माली समुदाय के मतदाता हैं और ज्यादातर विधानसभाओं में माली समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है लेकिन राजनीतिक तौर पर माली समुदाय को न्याय नहीं मिल पाता है. समाज की मांग है कि सभी राजनीतिक दल माली समाज को न्याय दें. राजनीतिक तस्वीर पर गौर करें तो पता चलता है कि सभी पार्टियां माली समुदाय को फेल कर रही हैं.
1) प्रमुख राजनीतिक दलों को माली समुदाय को महाराष्ट्र में राजनीतिक क्षेत्र में समान प्रतिनिधित्व का अवसर देना चाहिए।
2) विदर्भ के मोर्शी, वरूड और काटोल जैसे निर्वाचन क्षेत्रों से माली समुदाय का एक प्रतिनिधि चुनकर भेजा जाना चाहिए।
3) राजनीतिक दल को विदर्भ की कुल 62 विधानसभाओं में से माली समुदाय से 15 से 20 उम्मीदवार मैदान में उतारने चाहिए। यदि स्थापित राजनीतिक दल विदर्भ में 15% माली समुदाय को न्याय देने की स्थिति में नहीं है, तो माली समुदाय आगामी विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा।
बैठक की अध्यक्षता किशोर कान्हेरे (शिवसेना प्रवक्ता), डॉ. गणेश खारकर (अमरावती), प्रेम सातपुते (मोशी), दीपक गधाई (चंद्रपुर), नंदकिशोर लेकुरवाले, प्रो. प्रफुल्ल मोजने, (वरुड), महेश बटकुले, विजय नाडेकर, किशोर चरपे, संजय बारमासे (नरखेड), प्रोफेसर देवेन्द्र काटे, नंदू कान्हेरे, हरिभाऊ बनैत, रमेश गिरडकर, महेश अधाऊ, सागर घाटोले, स्वप्निल वाडकर एवं समुदाय के सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित थे।