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माँ तेरा आँचल


माँ तेरा आँचल ही मेरा संसार है
तू ही मेरी माँझी तू ही मेरी पतवार है 
धूप हो छावँ हो आँचल मुझे उड़ाती है 
भूख लगने परआँचल में मुझे छुपाती है 
मुख हो जाये मैला तो आँचल से पोछ जाती है। 

माँ तेरा आँचल ही मेरा संसार है 
तू ही मेरी माँझी तू ही मेरी  पतवार है
गर्मी में आँचल से  हवा कर गर्मी भगाती है 
ठंड में आँचल उड़ा तपन दिलाती है 
बीमार हो जाऊँ तो आँचल से सहलाती है। 

माँ तेरा आँचल ही मेरा संसार है 
तू ही मेरी माँझी तू ही मेरी पतवार है
खेल कर आऊँ तो पसीना आँचल से सुखाती है 
गरम दुध का गिलास आँचल से पकड़ाती है 
सामान लाने सिक्का आँचल की गाँठ से दे जाती है। 

माँ तेरा आँचल ही मेरा संसार है 
तू  ही मेरी माँझी तू ही मेरी पतवार है 
नजर ना लग जाये 
बच्चे को तेरे आँचल में समाती है 
ठोकर ना लग जाये कहीं सोच कर हाथ में आँचल पकड़ाती  है 
बच्चे  सलामत रहे भगवान के सामने आँचल फैलाती है 
माँ तेरा आँचल ही मेरा संसार है
तू ही मेरी माँझी तू ही मेरी पतवार है 

- मेघा अग्रवाल

  नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 7779674005578481172
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