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उमड़ते ज़ज्बात


जीवन संवेदनाओं से भरा 
दुख सुख लाड प्यार से हरा 
याद आती है मधुर यादें 
आँखों से ज़ज्बात उमड पाडते हैं 

दिल में दफन कई राज है 
प्यार दोस्ती एहसास साथ है 
सामने आते वह हसीन पल
आँखों से ज़ज्बात उमड पड़ते है

माता - पिता, बहन, भाई का साथ 
रिश्तों की  बगिया प्यारा सा एहसास, 
सब छुट गया कमाने, दौलत बनाने में     
आँखों से  ज़ज्बात उमड पडते है ।

पाला पोसा बिटिया को बड़ा किया 
वर ढूंढा अपने से जुदा किया
बचपन याद आता है मैं शादी नहिं करूंगी 
आँखों से ज़ज्बात उमड पढ़ते हैं ।

- मेघा अग्रवाल

 नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 687377025301555441
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