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कर्मयोग सिखाते हैं डा. लोहिया के राम : जोशी


नागपुर। समाजवादी चिंतक डा. राममनोहर लोहिया के राम कर्मयोग सिखाते हैं। लोहिया के राम वैधानिक प्रजातंत्र को मानने वाले और सत्य के आग्रही थे। यह बात मराठी के प्रसिद्ध साहित्याकार डा. श्रीपाद भालचंद्र जोशी ने कही। लोहिया अध्ययन केंद्र की ओर से डा. राममनोहर लोहिया की जयंती पर ‘लोहिया के राम’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन केंद्र के मधु लिमये स्मृति सभागृह में किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता डा. जोशी बोल रहे थे। दूसरे मुख्य वक्ता डा. लोहिया के विचारक व बिंझानी सिटी महाविद्यालय के वाइस प्रिंसीपल डा. संदीप तुंडूरवार थे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के अध्यक्ष असित सिन्हा ने की। डा. जोशी ने कहा कि लोहिया के राम कर्तव्यनिष्ठ हैं। कानून और नियमों को मानते हैं, अधिकार को नहीं। सामंतवादी और सत्तावादी नहीं थे। गांधीजी और लोहिया के राम अलग नहीं है। लोहिया के राम समाज, व्यक्ति का विकास और राष्ट्र निर्माण चाहते थे।

डा. संदीप तुंडूरवार ने कहा कि लोहिया के राम विश्व को एक बड़ी देन हैं। राम की समता दृष्टि वाली समाज व्यवस्था थी। लोहिया के राम ने संदेश दिया कि प्रजातंत्र तभी तक सलामत है जब तक कानून का पालन होता है। राम ने सभी की बातें सुनी और प्रजा के हित में निर्णय लिए। असित सिन्हा ने कहा कि डा. लोहिया स्वयं को कुजात गांधीवादी कहते थे। लोहिया के राम भी कुजात थे। सत्तारूढ़ दल राम को हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे जबकि औजार की भांति इस्तेममालल होना चाहिए।
संचालन टीकाराम साहू ‘आजाद’ ने किया। 

आभार हिंदी अधिकारी तेजवीर सिंह ने माना। कार्यक्रम में केद्र के पूर्व अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, वर्तमान महासचिव सुनील पाटील, ट्रस्टी संजय सहस्रबुद्धे, अनिल त्रिपाठी, अजय पांडे, अनिल वासनिक नरेंद्र परिहार, संजय कटकमवार, रवि गुड़धे पाटील, रवींद्र देवघरे ‘शलभ’, वसंत डेकापुरवार, युवराज चौधरी, अश्विन पांडे, प्रकाश तोवर, संतोष मिश्रा, चेतन पानसे, चंद्रकांत वद्बुधे, सुधाकर धुर्वे, भोजराज हाड़के आदि उपस्थित थे।
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