एल. ए. डी. में ‘ग्रीन अर्थ क्लीन अर्थ’ राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया
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नागपुर। एल. ए. डी. और श्रीमती आर. पी. महिला महाविद्यालय में 10 फरवरी 2024 को ‘ग्रीन अर्थ क्लीन अर्थ’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जो महाविद्यालय की IQAC की पहल है। सम्मेलन का आरंभ दीप प्रज्वलन तथा सरस्वती वंदना के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य उद्घाटक, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के उप-कुलगुरु डॉ संजय दुधे, कार्यक्रम के अध्यक्ष एडवोकेट श्री.सुनील मनोहर (प्रेसिडेंट, वूमेनस एजुकेशन सोसाइटी नागपुर) और महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पुजा पाठक, उप-प्राचार्या डॉ. किरण पाटिल और डॉ. रिजुता बापट और सम्मेलन की संयोजिका डॉ. दीपाली चहांदे उपस्थित थे। प्राचार्या ने स्वागत संभाषण में पर्यावरण संबंधित सुंदर कविता का पाठ किया एवं कविता के माध्यम से वसुंधरा की स्थिति को अभिव्यक्त किया।
उप-कुलगुरु डॉ संजय दुधे ने अपने वक्तव्य में बताया की ‘ग्रीन अर्थ क्लीन अर्थ’ रैली ने समाज को एक सीख देने एवं पृथ्वी को प्रदुषण से मुक्त कराने का एक सराहनीय प्रयास महाविद्यालय ने किया। जो आगे चलकर पुरे समाज के लिए आदर्श साबित हो सकता होगाI
सम्मेलन में प्रोसिडिंग का विमोचन एडवोकेट सुनील मनोहर जी के हस्त कमल से हुआ। प्रमुख वक्ता श्रीमती संचिता जिंदल, पूर्व सलाहकार एवं वैज्ञानिक-G, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार “स्वच्छ और हरित पृथ्वी के लिए अपशिष्ट प्रबंधन” पर उन्होंने वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से सर्वाधिक प्रदूषण होता है जो निश्चित ही मनुष्य के लिए हानिकारक है इसके निराकरण में हमें ऐसी वस्तुओं का निर्माण करना चाहिए, जो पुनः इस्तेमाल की जा सके। उनके अनुसार जिस दिन हम अपने कर्तव्य के प्रति जागृत हो जाएंगे उस दिन वसुंधरा प्रदूषण से मुक्त हो जाएगी।
तकनीकी सत्र के अध्यक्ष डॉ राहुल राळेगावकर प्रोफेसर, व्हिएनआयटी, नागपुर इन्होंने वक्ता का परिचय करवाया। श्री विशाल सरदेशपांडे, एड्जंक्ट एसोसिएट प्रोफेसर ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी विकल्प केंद्र आईआईटी पवई, मुंबई से है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और निरंतरता से निपटने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी की भूमिका पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया साथ ही डेमोंसट्रेशन के माध्यम से बताने का प्रयास किया कि प्रौद्योगिकता का जितना विकास हो रहा है उतना ही अधिक से अधिक पर्यावरण प्रदूषित होते जा रहा है I इस पर्यावरण को बचाने के लिए हमें पारंपारिक पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है।
तकनीकी सत्र II अ के अध्यक्ष श्री मुकुंद पात्रिकर सामविद इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और प्रबंधक निर्देशक एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समूह वॉटर शॉपी वर्ल्डवाइड (ओपीसी) प्रा. लिमिटेड , इस सत्र में वक्ता डॉ. उत्तरा पांडे (टीम लीडर पर्यावरण और डब्ल्यूएसपी इंडिया) थी। उनका मानना है कि स्वदेशी तरीको द्वारा परिस्थितियों को तकनीक के माध्यम से व्यवस्थापन किया जा सकता है। जो रिमोट सेंसिंग द्वारा कंट्रोल करने का प्रयास किया जा रहा है।
तकनीकी सत्र II ब के अध्यक्ष डॉ. अनूपमा कुमार, प्रोफेसर और प्रमुख, रसायनशास्त्र विभाग, महाराष्ट्र एकेडमी ऑफ़ साइंस और महिला सेल, व्हिएनआईटी, नागपुर की पूर्व अध्यक्ष इन्होंने सत्र II के प्रमुख वक्ता श्री प्रवीण मोते, निर्देशक सेंटर फॉर पीपल्स कलेक्टिव, नागपुर के प्रमुख वक्ता थे। जिन्होंने अपने वक्तव्य में बताया की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन में होने वाले बदलाव मनुष्य के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। प्रदूषण की वजह से विभिन्न पर्यावरण से संबंधित आपदाओं से मनुष्य झुलस रहा है। बाढ़, सूखा तथा भूमि में पानी का स्तर बहुत नीचे जाना आदि समस्याओं से मनुष्य को अगर बाहर निकलना है तो उसे पर्यावरण को बचाने उसके संवर्धन करने की बहुत आवश्यकता है।
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में शोधकर्ता और विद्वानों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की अध्यक्षता में पेपर प्रस्तुतीकरण किया गया। डॉ. टुटू सेनगुप्ता, डॉ. नंदा राठी, डॉ. संगीता सहस्त्रबुद्धे इन्होंने पेपर प्रस्तुतीकरण सत्र की अध्यक्षाता की। सम्मेलन में पूरे भारत से 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभाग लिया।
राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम पड़ाव में अध्यक्ष के रूप में श्रीमती श्रीलक्ष्मी अन्नाभतुले, वन संरक्षक नागपुर परिक्षेत्र, डॉ.अविनाश देशमुख (वाइस प्रेसिडेंट डब्ल्यूईएस)प्रमुख, प्राचार्या डॉ पुजा पाठक, IQAC की संयोजिका डॉ अर्चना मसराम एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ दीपाली चहांदे उपस्थित थे। पुरे दिन की रिपोर्ट का वाचन प्रा.मृणालिनी ठोंबरे ने किया, कार्यक्रम में पर्यावरण पूरक विविध क्षेत्रों में कार्य करने हेतु पुरस्कार प्राप्त श्री तनवीर मिर्जा, श्री आनंद भावलकर, श्री प्रशांत वानखेडे, विद्वानों का सम्मान किया गया। राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित विविध विद्वानों ने अपने फीडबैक भी दिए। समापन समारोह में सूत्र संचालन डॉ. प्रचिती बगाडे और डॉ. मीनाक्षी कुळकर्णी ने आभार प्रदर्शन किया। सम्मेलन का समापन राष्ट्रगीत से हुआ।