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भाषाओं और लिपिओं का हित मात्र भाषाई उत्सवों में कदापि नहीं : सुधाकर पाठक


नागपुर। भारतीय भाषाओं और लिपियों का हित मात्र भाषाई उत्सवों में कदापि नहीं है। इस आशय का प्रतिपादन हिंदुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली के संस्थापक-अध्यक्ष श्री सुधाकर बाबू पाठक ने किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष तथा नागरी लिपि परिषद,नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष प्राचार्य डॉ.शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख के कोंढवा,पुणे, महाराष्ट्र स्थित निवास स्थान पर (सोमवार 5 फरवरी,2024) सदिच्छा भेंट के अवसर पर वे अपने विचारों से अवगत करा रहे थे। श्री सुधाकर पाठक ने यह भी कहा कि भारतीय भाषाओं और लिपियां के विकास हेतु जमीनी स्तर पर कार्य करने की नितांत आवश्यकता है। मात्र भाषाई उत्सवों व सम्मान समारोहों के आयोजनों से हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे। बच्चों पर आरंभ से ही भाषाई संस्कार होने चाहिए।बच्चों व शिक्षकों को भी प्रेरित करना जरूरी होता है। डॉ. पाठक ने यह भी कहा कि यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय भाषाएं संकटग्रस्त भाषाओं की सूची में प्रथम स्थान पर हैं। 

राष्ट्रीय जनगणना 1961 से लेकर 2011 तक के पचास वर्षों में लगभग तीन सौ से अधिक भारतीय भाषाएं आज अस्तित्व में नहीं हैं। लगभग दो सौ भाषाओं पर अब भी विलुप्त होने का खतरा हैं। राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अनुसार भारत की 123 आधिकारिक भाषाएं हैं, इनमें से बाईस भारतीय भाषाएं भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में सन्निहित हैं। इनके अतिरिक्त चालीस से अधिक भाषाएं संविधान की अष्टम अनुसूची में स्थान पाने हेतु लंबे समय से अपने स्वतंत्र अस्तित्व की मांग कर रही हैं। ज्ञात हो कि 'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और संवर्धन को समर्पित एक स्ववित्तपोषित संस्था है।हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं, उपभाषाओं एवं क्षेत्रीय बोलियों के लिए संरक्षण और उन्नयन के उद्देश्य से सुधाकर पाठक जी द्वारा वर्ष 2015 में अकादमी की स्थापना की गई। अकादमी अपने स्थापना काल से ही विभिन्न माध्यमों से भाषा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करती आ रही है। 

'हिंदुस्तानी भाषा भारती' के नाम से अकादमी की एक त्रैमासिक पत्रिका है, जो विशुद्ध रूप से भाषा पर केंद्रित सामग्रियों का प्रकाशन करती है। अकादमी का आदर्श वाक्य है - 'निजभाषोन्नतौ राष्ट्रोन्नति:।  अकादमी विशेष रूप से दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों,शिक्षकों, शोधार्थियों एवं आचार्यों के लिए भाषा पर केंद्रित कार्यशालाएं राष्ट्रीय संगोष्ठियों, परिचर्चाओं एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है। प्रारंभ में प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख ने सुधाकर पाठक जी को शाल तथा 'हिंदी व देवनागरी लिपि' कृति से गौरवान्वित किया। तत्पश्चात सुधाकर पाठक जी ने 'हिंदी: विमर्श के विविध आयाम; 'भाषा:गत -अनागत; 'भारतीय भाषाएं : चिंता से चिंतन तक' तथा त्रैमासिक पत्रिका 'हिंदुस्तानी भाषा भारती' प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन शेख भेंट स्वरूप प्रदान किये।
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