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बसंत ऋतु


आयो बसंत आयो ,छायो बसंत छायो ।
है मन भावन ये बासंती सुदूर धरा छायो।।

पीली सरसों पीताम्बर सी
फैली जग भायो ।
नीलाम्बुज में रूप किरण 
छायो ।

रंग बिरंगे फूल खिले हैं, 
भँवरे राग सुनाये। 
कोयल गाये यमन राग भी 
स्वर से राग मिलाये ।।
सुन्दर मोहक रूप निहारें, 
राधा कृष्ण कन्हाई ।
अधर मुरल धर सुमधुर छेड़े 
मधुर राग तनहाई ।।

स्वागत है अब बसंत तुम्हारा,आओ मनहारी। 
सुकोमल उर में बसी हुई है 
मोहन छवि न्यारी ।
आज बुलाता देश हमारा आओ त्रिपुरारी। 
आयो बसंत ऋतु आयो 
छायो बसंत रंग छायो ।।

- सरोज गर्ग ‘सरु’

   नागपुर, महाराष्ट्र
समाचार 3553470736398852973
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