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उभरते सितारे में 'त्यौहारों की मिठास'


नागपुर। किसी से कितनी भी नोकझोंक हों, लेकिन सारे भेदभाव को भूलाकर, सभी का सहयोग करते हुए, एक दूसरे के साथ खुशी से आनंद और उत्साह के साथ, जीने की कल्पना को साकार करने का नाम ही त्यौहार है। जो हमारे जीवन में सकारात्मक का संदेश देता है। भारतीय संस्कृति में सहयोग करते हुए जीने की कल्पना को त्योहारों का रूप दिया गया है। अलग-अलग प्रांतों में विभिन्नता से भरी हुई भाषाएं, खानपान और उनके त्योहारों की झलक नज़र आती है। जो हमें उत्साहित करती है, एवं अपनत्व और आनंद से भर देती है। यह विचार प्रतिभाशाली नवोदित कलाकार संपूर्णा रेमंडल ने रखे। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने भी त्योहारों के महत्व और इसकी आवश्यकता को समझाया। 


विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं के लिए लोकप्रिय उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत  ज्ञानवर्धक संगीतमय कार्यक्रम 'त्यौहारों की मिठास' थीम पर, उत्कर्ष हॉल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में एल.ए.डी. कॉलेज से सेवानिवृत, इकोनामिक के प्राध्यापक डॉ. पुष्पा जयरामदास उदासी जी उपस्थित थीं। इनका सम्मान, सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने स्वागतवस्त्र और मोमेंटो देकर किया।


तत्पश्चात, कुछ बच्चों में से पुलत्स्य तरारे ने भी इस विषय पर प्रकाश डालते हुए बहुत ही सुंदर प्रस्तुतियां दी। जिसमे, काव्या दयानी, निर्भय लाकुड़कर, पूनम प्रदीप नळे, आनंद डोंगरे, मिनाक्षी केसरवानी, सोनल डोंगरे और पुलस्त्य तरारे ने शानदार गीत सुनाए। संपूर्णा रेमंडल के शानदार बिहू नृत्य की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया।

प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को योगीता तरारे, जानकी उदासी, अनोभा मदारे, गीता पूनिया, जितेन्द्र वर्मा,  सरिता लाकुड़कर, भानु कुमार, मोनिका रेमंडल, वेदप्रकाश अरोरा, सुहास तिरपुडे आदि ने खूब सराहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। तथा, कार्यक्रम में सहयोग के साथ-साथ उपस्थित दर्शकों, अभिभावकों और कलाकारों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने व्यक्त किया।
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