भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा
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9 दिसंबर - अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस विशेष -
भ्रष्टाचार समाज का वो नासूर है जो समृद्ध समाज के विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा बनता है। लालच या मज़बूरी के कारण लोग भ्रष्टाचार का विरोध करने के बजाय उसे लगातार बढ़ावा देते हैं, जिससे अक्सर न्याय और मानवता की हार होती है। जिन्हें फायदा होता है वे अपने पद, शक्ति और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर सरकार और जनता को लूटते हैं। हमें अक्सर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है, अनेक लोग कड़ी मेहनत करते हैं और वे संघर्ष करते ही रह जाते हैं और सफलता कोई अन्य ले लेता है। बहुत बार हर क्षेत्र, हर विभाग से जुड़ा कर्मचारी जानता है कि उसके यहां पर कहां भ्रष्टाचार पनपता है या गलत काम को बढ़ावा मिलता है, लेकिन कोई खुलकर विरोध नहीं करता, सब आँखे मूंदकर देखते रहते हैं क्योकि वें मानते है कि उससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं हैं या फिर वह क्यों समस्या से उलझें। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई सख्त कानून हैं, सरकारी तंत्र काम कर रहे हैं, कई संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता भी भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे हैं, फिर भी भ्रष्टाचार तेजी से फैल रहा है। भ्रष्टाचार से पीड़ित लोगों के जीवन की जद्दोजहद अति संघर्ष का सामना करने को मजबूर हो जाती है। भ्रष्टाचार भरोसा खत्म कर लोकतंत्र को कमजोर करता है, आर्थिक विकास को बाधित करके असमानता, गरीबी, सामाजिक विभाजन और पर्यावरण संकट को अधिक बढ़ाता है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किए गए करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2022 रिपोर्ट के अनुसार, भारत 40 अंक प्राप्त कर 180 देशों में से 85वां सबसे कम भ्रष्ट देश बना है। 89% प्रतिशत लोग मानते हैं कि सरकारी भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। पिछले 12 महीनों में 39% सार्वजनिक सेवा उपयोगकर्ताओं ने रिश्वत दी। सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में भ्रष्टाचार अक्सर मजबूत होता है। अफसोस की बात है कि भारत उनमें से एक है जिसकी प्रति व्यक्ति आय कम है। विश्व बैंक ने 2004 में कहा था कि रिश्वतखोरी के कारण दुनिया भर में हर साल 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता था। विश्व स्तर पर, वर्तमान में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अनुमान लगाया है कि भ्रष्टाचार की लागत प्रति वर्ष लगभग 2.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थात 2,16,37,200 करोड़ रुपये है। राजनेता, सरकारी अधिकारी, लोक सेवक, व्यवसायी या जनता के सदस्य कोई भी भ्रष्टाचार में शामिल हो सकता है। व्यापार, सरकार, अदालत, मीडिया, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर बुनियादी ढांचे और खेल तक सभी क्षेत्रों में कहीं भी भ्रष्टाचार हो सकता है। राजनेता सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर अपने परिजनों, मित्रों और परिवारों को सार्वजनिक नौकरियां या अनुबंध दे सकते हैं, मन मुताबिक काम पाने के लिए पाने के लिए निगम अधिकारियों को रिश्वत दे सकते है। भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 के अनुसार, 51% उत्तरदाताओं ने रिश्वत देने की बात स्वीकार की।
भारत देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कानूनी और नियामक ढांचे बनाये गए है। जैसे :- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार के संबंध में और उन लोगों के लिए भी दंड का प्रावधान करता है जो भ्रष्टाचार के कृत्य को बढ़ावा देने में शामिल हैं। 2018 के संशोधन ने लोक सेवकों द्वारा रिश्वत लेने के साथ-साथ किसी भी व्यक्ति द्वारा रिश्वत देने दोनों को अपराध घोषित कर दिया। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम 2002, का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं को रोकना है और भारत में 'अपराध द्वारा आय' के उपयोग पर रोक लगाना है। कंपनी अधिनियम 2013, कॉर्पोरेट प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम प्रदान करता है। 'धोखाधड़ी' शब्द को व्यापक परिभाषा दी गई है और यह कंपनी अधिनियम के तहत एक अपराध है। भारतीय दंड संहिता 1860, ऐसे प्रावधानों को निर्धारित करती है जिनकी व्याख्या रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामलों को कवर करने के लिए की जा सकती है, जिसमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित अपराध भी शामिल हैं। बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988, यह अधिनियम उस व्यक्ति को उस पर अपना दावा करने से रोकता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर संपत्ति अर्जित की है।
भ्रष्टाचार का प्रभाव समाज के सबसे कमजोर लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जो राष्ट्र भ्रष्टाचार से लड़ते हैं और अपने कानून के शासन में सुधार करते हैं, वे अपनी राष्ट्रीय आय में 400 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकते हैं। लोगों की जागरूकता ही भ्रष्ट व्यवस्था को बदल सकती हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और ईमानदारी, पारदर्शिता, कर्तव्यनिष्ठा को हमारे प्रत्येक के जीवन, समाज, संस्कृति का हिस्सा बनाना होगा। हमारे प्रणाली में निरंतर जांच और संतुलन बना रहना चाहिए। कर्मचारी या जन प्रतिनिधि का पद जितना ऊंचा होता है, वह जनता के प्रति उतना ही अधिक जवाबदेह होता है। भ्रष्टाचार संबंधित शिकायत के लिए भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग से संपर्क करने के लिए टोल फ्री: 1800110180, 1964 पर कॉल कर सकते है। इसके साथ ही राज्य सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग भी इस समस्या से लड़ने के लिए सर्वदा तत्पर होते है। जैसे कि महाराष्ट्र राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग से संपर्क करने के लिए +91 22-249-21212, टोल फ्री नंबर 1064, व्हाट्सएप नंबर 9930997700, ई-मेल आईडी acbwebmail@mahapolice.gov.in का उपयोग कर सकते है। हमेशा जागरूक रहें, सतर्क रहें देशहित में कार्य करें।
- डॉ. प्रितम भी. गेडाम
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