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युवा पीढ़ी ने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए : डॉ. बबनराव तायवाडे


नागपुर। समाज में फैली अनेक विद्रूपताओं से दूर रहते हुए युवा पीढ़ी ने अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लेना चाहिए तभी उनकी व समाज की संतोषजनक प्रगति हो सकती है।" ये विचार थे सुपरिचित शिक्षाविद व विभिन्न  मुद्दों पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बबन तायवाडे के जो उन्होंने विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के कार्यक्रम ‘संवाद’ में साहित्यकार डॉ सागर खादिवाला के साथ बातचीत करते हुए व्यक्त किये। 

गांव के एक साधारण किसान परिवार में जन्म से लेकर आज के समय तक की जीवन-यात्रा में आए विभिन्न घटनाक्रमों और उतार-चढ़ाव तथा संस्करणों का उन्होंने बड़े रोचक ढंग से वर्णन किया। विद्यार्थी जीवन में पेट्रोल पंप पर काम करने से लेकर नागपुर के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य पद तक पहुंचने के दौरान आये कई अच्छे-बुरे अनुभवों का जिक्र करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि किसी भी हालत में निराश न होते हुए हर स्थिति का डटकर मुकाबला करना चाहिए तभी सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। 

कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक व सामाजिक आंदोलनों से जुड़े डॉ तायवाडे  ने समाज में फैली विभिन्न असमानताओं का जिक्र करते हुए उनके निराकरण के लिए किए जाने वाले आंदोलनों  की सार्थकता का ठोस विश्लेषण प्रस्तुत किया। डॉ खादीवाला द्वारा किए गए प्रति-प्रश्नों का संतोषजनक व सटीक उत्तर देते हुए डॉ तायवाडे ने युवा पीढ़ी के राजनीति में सक्रिय होने या ना होने के मुद्दों का बड़ा स्पष्ट आकलन  प्रस्तुत किया। श्रोताओं  द्वारा पूछे गए प्रश्नों और जिज्ञासाओं का उन्होंने बखूबी  समाधान किया। कार्यक्रम में शिक्षा जगत सहित विभिन्न वर्गों के श्रोता काफ़ी संख्या में उपस्थित थे।
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