तेरी यादें
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बादलों की तरह,
कसक सी होती है
बारिस में बिजुरी की तरह,
हम जताते नहीं,
वो बात और है,
छिपा रखते हैं
दिल में
गुनहगार की तरह.
तुम कहती हो
याद नहीं करते,
भूल जाते हो
उस राजा की तरह,
जिसकी अंगूठी
हो गई गुम
कोई सरोवर में
बारिश के बूंदों की तरह.
कैसे यकीन दिलाएं हम
दुष्यंत तो नहीं हम,
लेकिन
ओ शकुंतला,
याद के लिए
अंगूठी के मोहताज नहीं हम।
समंदर की लहरों सी
हैं तेरी यादें,
बार बार किनारे धाए
आकर टकराए,
टकराकर लौट जाएं,
फिर आ टकराएं
तेरी यादें,
सच, आंख मिचौनी है खेलें,
तेरी यादें.