ज्ञान मानव समाज की सर्वोत्तम उपलब्धि है : प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय
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नागपुर। मानव समाज का विकास उसकी जिज्ञासा और साधना का सूचक है। ज्ञान मानव समाज की सर्वोत्तम उपलब्धि है। बिना ज्ञान के मनुष्य का अस्तित्व शून्य है। यह बात रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. जंग बहादुर पांडेय ने हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में कही। व्याख्यान का विषय था 'ज्ञान और समाज'। उन्होंने कहा कि ज्ञान वह आधार है जिसके बल पर मनुष्य की भूमिका निर्धारित होती है। समाज में ज्ञान के अनुरूप ही व्यक्ति की मूल्यवत्ता और उपादेयता सिद्ध होती है। इसलिए समाज के विकास के लिए ज्ञान की परंपरा का अनवरत प्रवाहित होते रहना नितांत आवश्यक है।
प्रो. पांडेय ने इस बात को रेखांकित किया कि साहित्य ज्ञान का अक्षय भंडार है। साहित्य के माध्यम से ज्ञान का प्रकाश सुदूर अंचलों तक भी संभव होता है। साहित्य वह माध्यम है जो व्यक्ति को, समाज को संस्कारित करता है। हर दौर में सामाजिक विकास में साहित्य की केंद्रीय भूमिका रही है और आज भी है। ज्ञान- विज्ञान की वे तमाम उपलब्धियां साहित्य का विषय बनती रही हैं, जिनसे सामाज का सीधा सरोकार रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि ज्ञान किसी भी समाज की प्रगति का सूचक होता है। जिस समाज का बोध जितना प्रगत और उन्नत होता है, वह समाज उतना ही विकासशील और जागरूक माना जाता है। साहित्य जागरूक समाज के निर्माण की पाठशाला है। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि ज्ञान का निरंतर प्रसार ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने किया। इस अवसर पर डॉ. एकादशी जैतवार, डॉ. कुंजन लिल्हारे,प्रा.जागृति सिंह, प्रा.रूपाली हिवसे, प्रा.दिशांत पाटिल सहित अनेक शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित थे।