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जीवन में सबसे बड़ी तपस्या पछतावा है : प्राचार्य प्रो. शेख

नागपुर/पुणे। जीवन में सबसे बड़ी तपस्या पछतावा है. ऐसा वक्तव्य प्राचार्य प्रो. डॉ.आफताब अनवर शेख ने कहा वे बहुउद्देशीय संस्था एवं पूना कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित येरवडा खुली  जेल कैदियों के कार्येक्रम में बात कर थे। कोई भी व्यक्ति स्वभाव से अपराधी नहीं होता। वह अपने जीवन में कुछ परिस्थितियों और संकटों के कारण इसमें फंस जाता है। 

जीवन में सबसे बड़ी तपस्या पछतावा है। इन बंदियो  के लिए जरूरी है कि उन्हें जेल से बाहर आने के बाद उनकी आजीविका के लिए कुछ उद्योग प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि बाहर निकलने के बाद उन हाथों को काम मिले और उन्हें और उनके परिवार को अपनी आजीविका कमाने में मदद मिले। इस तरह की पहल आर के बहुउद्देशीय संस्था एवं पूना कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न गतिविधियां संचालित की  जा रही हैं।

आर के  बहुउद्देशीय संस्था और पूना कॉलेज की और से येरवडा खुली  जेल के कैदियों को विभिन्न उपयोगी वस्तुएं वितरित की गईं। जिसमे - प्लेटे, कंप्यूटर और व्हाइट बोर्ड उपलब्ध कराए गए। 

इस कार्यक्रम में पूना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आफताब अनवर शेख ने मार्गदर्शन करते  हुए कहा कि पूना कॉलेज येरवडा खुली जेल के कैदियों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करेगा, जिसमें कौशल विकास, स्पोकन इंग्लिश, उद्यमीता विकास, व्यक्तिमत्व विकास के प्रशिक्षण तथा स्पोकन इंग्लिश कोर्स पढ़ाया जाएगा। 

आर के  बहुउद्देशीय संस्था कि सचिव श्रीमती भाग्यश्री सालुंके ने काही की कैदियों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास सभी लोगो ने करना चाहिए। 

इस अवसर पर येरवडा खुली जेल अधीक्षक अनिल खामकर, वरिष्ठ जेल अधिकारी राजेंद्र मरले, जेल अधिकारी हेमंत पाटिल, संतोष कोकणे, श्रीमती निशा श्रेयकर, रुद्रा पांडे, पूना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. आफताब अनवर शेख, श्रीमती भाग्यश्री सालुंके, गिरीश सालुंके, प्रणव सालुंके, सिंधेशजी, राजाभाऊ कोंढरे, वैशाली चाकणकर और अन्य खुली जेल के  कैदी और कर्मचारी उपस्थित थे। हेमन्त पाटील ने अपने वक्तव्य में खुली क़ैदियो की भावना व्यक्त की। आभार राजेंद्र मरले ने माना।
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