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शादी ब्याह मे बढ़ता दिखावा घटता अपनापन



 

विवाह व पवित्र बंधन है जिसमें स्त्री पुरुष मिलकर परिवार का निर्माण करते हैं जो परिवार समाज और धर्म को साक्षी मानकर स्थायी रुप से साथ रहने की प्रतिज्ञा के साथ तैयार होता है।
 प्राचीन काल से ही दो परिवार मिलकर विवाह योग्य लड़का और लड़की का अपने परिवार की पसंद अनुसार यह रस्म पूरी करते थे जिसे विवाह कहा जाता है।
 विकास की बढ़ती गति और शिक्षा नौकरी और सामाजिक मेल मिलापों के पर्वों में इसका स्वरूप बदलता चला गया विवाह और प्रेम विवाह और प्रेम के साथ परिवार की सहमति से किया गया विवाह ।

अब आते हैं दिखावे पर प्राचीन काल में वर और वधु को नई गृहस्थी की शुरुआत के लिए दिए जाने वाला उपहार दहेज कहलाता था ।
यानी अपने पुत्र और पुत्री को गृहस्थी के लिए जो आप सप्रेम भेंट कर सके कोई बंधन नहीं था कोई सीमा नहीं थी और किसी तरह का कोई दबाव नहीं था आप दे सके तो सही और ना दे सके तो भी सही।
 पर यह दहेज का शब्द धीरे-धीरे दानव का रूप लेते चला गया फिर इसमें दिखावा और बनावटीपन का समावेश होता चला गया ।
आज स्थिति यह है कि आपके घर हुए विवाह की तुलना अन्य रिश्तेदारों के घर हुआ विवाह से करके आपका वजन तोला जाता है यानी आप कितने समृद्ध हैं।
 वह यह आंकतें  हैं। हर घरेलू रस्म 
अब इवेंट के नाम पर भौंडे प्रदर्शन दिखावे की रस्में बनकर रह गई है साथ में शामिल हो गए हैं ड्रेस कोड और हर तरह के सेट यानि हल्दी का सेट मेहंदी का सेट संगीत का सेट और फिर फेरे का सेट के नाम पर आपकी बरसों की मेहनत से कमाई गई धनलक्ष्मी कुछ यूं लुटाई जाने लगी मानो आपके घर पैसे के पेड़ लगे हैं। और नहीं है तो लोन की सुविधा उपलब्ध है ना दिखावा करने के लिए इसका वास्ता दिया जाता है पर दिखावा तो होना ही है क्योंकि अब वह विवाह का एक अनिवार्य अंग जो बन गया है ।
उसके बाद विदाई तक में आजकल फिल्मों का असर भी दिखने लगा है हीरो हीरोइन बड़े खिलाड़ियों और बड़े व्यापारिक परिवारों द्वारा करोड़ों का खर्च ऐसे किए जाते हैं मान लो पैसे की कोई कीमत ही नहीं है। हजारों और लाखों के तो कार्ड छपते हैं पैलेस में शादी होती है और डेस्टिनेशन विवाह होता है। और विवाह के पूर्व फोटोग्राफी के नाम पर  बचकाने प्रदर्शन किए जाते हैं कि वहां विवाह की पवित्रता खत्म हो जाती है।
 और शांति से दो परिवार खुशी के माहौल में जो एक होते थे वह अब कहीं दिखता ही नहीं है।
 लड़की का पिता पूरे समय इस तनाव में जीता है कि इवेंट वाला सही समय पर सही काम करें।

 रिश्तेदार कुछ घर में यूं प्रकट होते हैं मानो पार्टी का आनंद लेने आए हैं ।
कहां गया वह समय जब दादी नानी बुआ मौसी औरअन्य रिश्तेदार कई दिनों पहले से आकर अपनत्व से जो जिम्मेदारी संभालते थे वह तो अब गायब  ही है पहले हल्दी घर पर पीसी जाती थी ।
सूती साड़ी इस हल्दी में रंग कर   वधु को पहनाई जाती थी और मंत्र पढ़े पर बैठकर सब मंगल गीत गाते हुए हल्दी के रस्म में निभाते थे।
 वही आज हल्दी के सेट पर फिल्मी धुन पर पूरे जोरों से बजते कानफोडू गानों के बीच में हर महिला की कोशिश होती है की जो पार्लर से तैयार होकर आई हूं मेरा वह मेकअप ना कहीं बिगड़ जाए फोटो और वीडियो सही आना चाहिए । हल्दी में लगाऊं या ना लगे खाना पूर्ति कर देती हैं।
 सिर्फ हल्दी का टीका लगाकर।

 वही मेहंदी में और संगीत में तो पूछिए ही मत जितनी महंगी से महंगी पाश्चात्य पोशाक पहने या पोशाके पहनी जाती हैं वह उतने ही सभ्य कहलाते हैं ।
कॉकटेल तो चलेगा अरे कॉकटेल नहीं है तो पार्टी का स्टैंडर्ड क्या लोग मुंह बिचकाते हुए नजर आते हैं ।
लोगों का ध्यान संगीत में काम और मुझे महंगी ड्रेस मेकअप और गहने किसने पहने हैं उसे पर ज्यादा रहता है और संगीत में भी यदि कुछ उपहार दिए जा रहे हैं तो वह क्या है ।
विवाह के दौरान एक से बढ़कर एक कपड़े और गहनों की नुमाइश जहां स्त्रियों में होती है वहीं हर रस में पुरुषों के महंगे सूट को जूते शेरवानी भी बराबरी से दिखावे में शामिल होते हैं।

 संगीत हल्दी मेहंदी फेरों के समय में वर वधु की एंट्री भी किसी फिल्मी थीम पर कराई जाती है जो कि संस्कार के गरिमा के अनुकूल है ही नहीं।

 फेरे होते ही आधे रिश्तेदार कुछ यूं भागते हैं मानो उनके कामकाज में ऐसी बड़ा आ जाएगी कि उनके जीवन का सबसे बड़ा घाटा हो जाएगा एक दिन और विदाई तक रुकना उनके लिए संभव ही नहीं होता।

 उधर दिखावे के लिए इवेंट में दी गई बड़े-बड़े होटल डेस्टिनेशन वेडिंग में रूम खाली करने का भी समय निर्धारित होता है।
 कई लोग चाहते हुए भी नहीं रुक सकते हैं ।
अब विदाई तक मुश्किल से              रुकना पड़ा तो उंगली पर गिन लो इतने ही रिश्तेदार और सगे संबंधी बचते हैं और विदाई में भी यह दिखावा की दूल्हा कितनी महंगी से महंगी कार लेकर आएगा दुल्हन को ले जाने आखिर उसके भी स्टैंडर्ड का सवाल है ना ।
कई रिश्तेदार तो पूरी शादी में सिर्फ यही गिनती करते हैं की दुल्हन को कितने गहने कितने साड़ी आई चढ़ावे में और दूल्हे को क्या-क्या दिया गया बाकायदा लिस्ट भी बना कर ले जाते हैं यदि उनके घर पर कोई विवाह योग्य हो तो उसकी शादी में इससे ज्यादा दिखावा जो करना होगा तभी तो वह लोग ऊंचे कहलाएंगे।

 अब बताइए डेस्टिनेशन विवाह पैलेस में विवाह के दौरान आपके पास क्या कोई भी समय से पूर्व आकर घर पर अपनात्व से काम संभाल पाएगा नहीं ना क्योंकि जब आप अपने घर पर ही कुछ नहीं कर रहे हैं।
 रिश्तो की वह मिठास चुहल बाजी और घर के स्त्री पुरुषों द्वारा जिम्मेदारी से किए जाने वाले सारे कार्य अब तो दिखाए के लिए इवेंट वाले को सौंप दिए गए हैं बाकी क्या रहा जब अपना तो ही चला गया तो मात्र दिखावा ही तो बाकी है ना ।

 - अपराजिता शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
लेख 8175695178379627049
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