नागरी लिपि सम्मेलन में गूंजे राष्ट्रीय एकता के स्वर
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नागपुर/तिरुवनंतपुरम, केरल। नागरी लिपि परिषद के 46वें अखिल भारतीय नागरी सम्मेलन के द्वितीय दिन 'विश्व लिपि के रूप में नागरी लिपि की समर्थता 'विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई।इसकी भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र कुमार यादव की अध्यक्षता और नासिक के महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पोपट वी कोटमे के कुशल संचालन में तमिलनाडु, पुदुचेरी, गोवा, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक के नागरी लिपि विद्वानों ने विश्व लिपि के रूप में नागरी लिपि की समर्थता को रेखांकित किया। अगले सत्र का विषय था - 'केरल में नागरी -हिंदी' इसकी अध्यक्षता राजकीय महिला महाविद्यालय, तिरुवनंतपुरम की पूर्व प्राचार्य प्रो श्रीमती के जे रमाबाई ने की और संचालन इसी महाविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सी जे प्रसन्न कुमारी ने किया।
इसमें कालिकट की नागरी हिंदी विदुषी डॉ एम के मीता, तिरुवनंतपुरम की डॉ पूर्णिमा आर, कोट्टायम की श्रीजा कृष्णन और मल्लपुरम की डॉ श्रीजा प्रमोद ने केरल में नागरी लिपि की लोकप्रियता को सिद्ध किया।
यह पहला अवसर था जब नागरी लिपि परिषद के राष्ट्रीय मंच पर महिला ही अध्यक्ष, संचालक और शोध पत्र वाचक विदुषी महिलाएं थीं।अंतिम सत्र ' मूल्यांकन एवं प्रतिभागिता प्रमाण पत्र वितरण तथा समापन सत्र था। इस सत्र की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने की।
संचालन महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने किया।विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्याध्यक्ष डॉ शहाबुद्दीन शेख, कालिकट विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ आरसु और राजकीय महिला महाविद्यालय तिरुवनंतपुरम की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सी जे प्रसन्न कुमारी थीं। सर्वप्रथम डॉ पाल ने इस सम्मेलन के प्रतिभागियों को मूल्यांकन के लिए आमंत्रित किया।इसमें आर के देसाई महाविद्यालय,वापी, गुजरात के डॉ जयंति लाल बी बारीस, पुदुचेरी विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ एस पद्मप्रिया, लालबहादुर शास्त्री महाविद्यालय धर्माबाद, नांदेड़ की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ प्रतिभा येरेकार, कोयंबटूर के हिंदी प्रचारक श्री वि विजय कुमार, कालिकट की शोध छात्रा सुश्री सफिया मुरक्कील, चेन्नई की हिंदी प्रचारक डॉ के पद्मिनी, मल्लपुरम की डॉ एम के मीता, नासिक के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पोपट कोटमे ने इस सम्मेलन को अति महत्वपूर्ण, सार्थक और राष्ट्रीय एकता की अनुपम कड़ी बताया।तत्पश्चात सम्मेलन के समस्त प्रतिभागियों को मंचस्थ अतिथियों ने प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किए।
विशिष्ट अतिथि डॉ शहाबुद्दीन शेख, डॉ आरसु और डॉ सी जे प्रसन्न कुमारी ने भी इस सम्मेलन की उपलब्धियों को उल्लेखनीय और सर्वोपयोगी बताया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने केरल हिंदी प्रचार सभा के समस्त पदाधिकारियों और कर्मियों को उनके सराहनीय योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया और देश विदेश के भौतिक एवं आभासी माध्यम से जुड़े नागरी लिपि प्रेमियों और भाषाविदों की सकारात्मक उपस्थिति को रेखांकित किया। आचार्य ओमप्रकाश के शांति पाठ और समवेत राष्ट्रगान के साथ सम्मेलन का उद्यापन किया गया।