प्राचार्य डॉ. श्री. वि. कड़वेकर का 81वें वर्ष में पदार्पण
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नागपुर/पुणे। शिक्षा जगत् के ख्यातनाम शिक्षा महर्षि प्राचार्य डॉ. श्रीपाद विनायक कड़वेकर का हाल ही में 81वें वर्ष में पदार्पण हुआ है। 1974 से 1982 की अवधि में वे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले से संलग्नित नेवासा के स्थानीय श्री ज्ञानेश्वर विद्या प्रसारक मंडल के श्री ज्ञानेश्वर महाविद्यालय में प्राचार्य के रूप में कार्यरत रहे। शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. कड़वेकर ने अपनी सेवाएं श्रीरामपुर के चंद्ररूप डाकले महाविद्यालय से प्राध्यापक के रूप में आरंभ की थी। नेवासा के उपरांत वे पुणे जिले से संलग्नित शिरूर के चांदमल ताराचंद बोरा महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर बने रहे। तत्पश्चात भारती विद्यापीठ, पुणे में प्रबंधन व उद्योगजगता विकास संस्था के निदेशक भी थे।
1990 में डॉ. कड़वेकर, पुणे विश्वविद्यालय के वाणिज्य विद्या शाखा के अधिष्ठाता बने थे। 2006 से 2008 तक वे पुणे विश्वविद्यालय के वाणिज्य शाखा के, प्रथम विभाग प्रमुख के रूप में नियुक्त हुए। इसी कार्यकाल में उन्होंने 'जर्नल आफ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट थॉट' शीर्षक की त्रैमासिक शोध पत्रिका आरंभ की थी। डॉ. श्रीपाद कड़वेकर, सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, भारती विद्यापीठ, पुणे तथा डी.वाय. पाटील विद्यापीठ, पुणे के मान्यता प्राप्त शोध निर्देशक रहे। लगभग 50 शोधार्थियों ने उनके निर्देशन में एम.फिल. तथा पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। डॉ. कड़वेकर जी ने व्यापार तथा प्रबंधन विषय पर 50 से अधिक ग्रंथों का लेखन किया है। विविध शोध पत्रिकाओं में भी उनके अनेक शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद, बेंगलुरु, ऑल इंडिया मैनेजमेंट असोसिएशन, सी.आइ.आइ. जैसी संस्थाओं की समिति सदस्य के रूप में भी वे सुचारू रूप से दायित्व निभा चुके हैं। डॉ. कड़वेकर आदर्श शिक्षक पुरस्कार, जीवन गौरव पुरस्कार, शोध पुरस्कार जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। डॉ. कड़वेकर जी ने अपने शैक्षिक कार्यकाल में शैक्षिक व सामाजिक क्षेत्र में अनेक अभिनव उपक्रमों के मांध्यम से अत्यंत प्रशंसनीय कार्य किया है।
हाल ही में डॉ. श्री. वि. कड़वेकर ने अपने जीवन के सफलता पूर्वक 80 वर्ष पूर्ण करके 81वें वर्ष में पदार्पण किया है। पुणे के कोथरुड स्थित गणेश हॉल के उत्सव सभागार में आयोजित विशेष समारोह में नेवासा के तत्कालीन प्राध्यापकों में प्राचार्य रघुनाथ किसन आगले, प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, प्राचार्य डॉ. विश्वनाथ बाजीराव खेड़कर, डॉ. ब्रह्मदेव पांडुरंग पवार सहित डॉ. के. जी. पठान, वाय. बी. शेख तथा शैक्षिक व सामाजिक क्षेत्र से अनेक महानुभावों की गरिमामयी उपस्थिति रहीं । समारोह का आरंभ संतश्रेष्ठ श्री ज्ञानेश्वर जी की 'ज्ञानेश्वरी’ ग्रंथ में निहित रचनाओं के गायन व पठन से हुआ।
इस अवसर पर कड़वेकर परिवार जनों में श्रीमती श्रेयसी कड़वेकर, श्रवण कड़वेकर, श्रीरंग कड़वेकर, श्रुति रायपुरकर सहित सभी की उपस्थिति रही। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. कड़वेकर जी के प्रति सभी ने दीर्घ जीवन, सुंदर स्वास्थ्य व अधिकाधिक शक्ति की कामना करते हुए उन्हें हार्दिक बधाइयां दी।