रातुम नागपुर विश्वविद्यालय में शताब्दी महोत्सव राष्ट्रसंत व्याख्यान माला
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नागपुर। राष्ट्रसंत टुकड़ोंजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर उर्दू विभाग में 21 अक्टूबर दोपहर 2 बजे शताब्दी महोत्सव निमित्य राष्ट्रसंत व्याख्यान माला आठवां पुष्प 'ख्वाजा बंदा नवाज गेसु दराज के साहित्य में सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना' व्याख्यान का आयोजन जमनालाल बजाज प्रशासकीय भवन में किया गया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. सुभाष चौधरी (कुलपति राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय) थे। प्रमुख उपस्थिति के रूप में प्रति - कूलपति राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्रो. संजय दुधे और कुलसचिव राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के डॉ. राजीव हिवसे उपस्थित थे। अतिथि वक्ता के रूप में प्रो. फारूक बख़्शी (पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष उर्दू) विभाग मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद, उपस्थित थे।
सर्व प्रथम डॉ. संतोष गिरहे (विभाग प्रमुख उर्दू) ने ख्वाजा बंदा नवाज गेसु दराज का परिचय विस्तार से विस्तृत किया। इसके बाद फारूक बख़्शी ने अपने व्याख्यान में बताया कि ख्वाजा बंदा नवाज गेसु दराज का वंशावली 22 पीढ़ी से खलीफा इस्लाम हज़रत अली से मिलता है।ख्वाजा बंदा नवाज बहमनी सल्तनत के शासन में गुलबर्गा आए और 22 साल तक रहे। उनके साहित्य में भारतीय सभ्यता का रंग प्रमुख है।
प्रोफेसर फारूक बख्शी ने कहां की वह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को भी किसी संत से कम नहीं मानते। इसके बाद डॉ. संजय दुधे ने जीवन शैली के प्रति विद्यार्थियों एवं श्रोताओं का मार्गदर्शन किया। इसके बाद श्याम राव कोरेटी ने आभार व्यक्त किया, कार्यक्रम और व्याख्यान की प्रशंसा भी की। कार्यक्रम का संचालन उर्दू विभाग के प्रो. डॉ. समीर कबीर ने किया। इस कार्यक्रम में उर्दू विभाग के विद्यार्थी और शिक्षकों के अलावा अन्य विभाग के विभाग प्रमुख और विद्यार्थी भी उपस्थित थे।