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गागर में सागर भरने में सफल हुई कुमार संदीप की अनमोल पुस्तक : सुनील कुमार

नागपुर/मुजफ्फरपुर। लेखक कुमार संदीप सिमरा, बंदरा, मुजफ्फरपुर, बिहार की 'ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम' पुस्तक की समीक्षा करते हुवे लोक कलाकार सुनील कुमार ने हुए बताया कि - प्रेरणात्मक विचार का भाव पक्ष या कला पक्ष नहीं होता, उसे ज़रूरत नहीं पाठक की प्रशंसा की। बड़े - बड़े कार्यकम और बड़े-बड़े साहित्यकारों की हस्ताक्षर भरी विमोचित किताब की।

सच को अपने खड़े रहने के लिए किसी के पाँव की जरूरत नहीं। सच को साथ लेकर जीने के हौंसले किसी और से नहीं मिलते बल्कि उसके रिश्ते घावों के मवाद से बने होते हैं। जलन और दर्द उस हौंसले का खाद पानी बन जाता है। 

अपने प्रेरणाश्रोत परम् पूज्यनीय पिता स्व. ब्रज किशोर मिश्रा को समर्पित इनकी पुस्तक.. जैसे धैर्य, आत्मशक्ति, हौंसला, और प्रेम ही हर सवाल का जवाब है। प्रेरणात्मक विचार इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। कुमार संदीप द्वारा लिखी प्रेरणात्मक विचार सुख-दुख, आशा-निराशा, अपनों-परायों का मार्मिक दस्तावेज़ है जो जीने के रास्ते की चमक है । मृत्यु की हार का झुका सिर है तो जीवन की जीत का ताज है।

पिता के प्रति असीम आस्था रखने वाले संदीप  जी के शब्दों में जिस तरह एक पेड़ सहन करता हैं स्वयं के ऊपर जेठ की दुपहरी की कड़ी धूप फिर भी देता हैं हमें मीठे फल, जीने के लिए ऑक्सीजन ठीक उसी प्रकार पिता भी अपने जीवन में हर दिन सहन करते हैं स्वयं के ऊपर बेइंतहा कष्ट और औलाद की झोली में भरते हैं 

बेइंतहा खुशी। जिंदगी हैं गर धूप यदि तो छांव हैं पिता ज़िंदगी हैं पूस की रात यदि तो पावन भोर हैं पिता। मुश्किल समय में कोई दर्द साझा करने वाला न हो तो मायूस मत होइए हालात अनुकूल होने में देर लगती हैं, पर हालात अनुकूल जरूर होते हैं।

गागर में सागर भरने में सफल कुमार संदीप की अनमोल पुस्तक 'ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम' सभी उम्र के लोगों के लिए उपयोगी है। खास तौर पर जब युवा मन भटकता रहता है एक प्यासे की तरह उस स्थिति में यह पुस्तक युवा मन को शीतलता प्रदान करते हुए निराशा मन में आशा के दीपक जलाने का कार्य करेगी। कार्यक्रम की संयोजक सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, बिहार थी।
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