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कवियित्री सम्मेलन से राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन

नागपुर। विगत दस दिनों से चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन के लिए 'हम अमन' डा तेजिंदर सिंह रावल प्रणित एक राष्ट्रीय एकता के संगीतमय मनोरम कार्यक्रम और अंत में शहर की जानी पहचानी कवियित्रियों के सरस सम्मेलन से हुआ।जिसकी अध्यक्षता सुपरिचित गज़लकार
साहित्यकार श्रीमती सरोज व्यास ने किया।

सुप्रसिद्ध रचनाकार और मंच संचालक श्री अविनाश बागड़े ने इस कवियित्री सम्मेलन के संचालन की बागडोर बखूबी संभालते हुए नौ रात्र की विभिन्न देवी रूपों को  दोहों में पिरोते हुए एक एक कवियित्री को काव्य पाठ हेतु आमंत्रित किया
सर्वप्रथम माधुरी मिश्रा मधु को
इस दोहे से प्रस्तुत किया 
"जगदंबे  नवरात्र में ,ऐसा दो वरदान।
मानव बस मानव रहे,बने नहीं हैवान।।"
तदुपरांत 
"ब्रह्मचारिणी रूप धर,आओ माते पास।
मानवता की जोत बन, सबल करो विश्वास।।" 

इस दोहे से अमिता शाह 'अमी ' को माईक सौंपा गया। तीसरी कवियित्री के रूप में
मधु पाटोदिया जी को
" संतुष्टि आरोग्य की,होय जहां पर बात।
चंद्रघंटा मातु बन,रक्षा रत दिन रात।।" 

इस दोहे से काव्य पाठ का आमंत्रण मिला।
"श्रद्धा मन में धार के,करो मातु का जाप।
मैय्या कुष्मांडा हरे, सकल कष्ट संताप।।""

नवरात्र की चौथी देवी के दोहे से
मिली विकमशी ने अपनी कविता प्रस्तुत की।
पांचवी पेशकश रूबी दास 'अरु ' की रही जिन्हे
"स्कंद मां कर दो हमे,अहंकार से मुक्त।
प्रसन्नता के साथ में,रहें आत्मबल युक्त।।" 
दोहे से आवाज दी गई।
छठवीं प्रस्तुति दोहाकार सुधा काशिव की रही जिन्हे इस दोहे से आमंत्रित किया गया
" महिषासुर संहारिणी,कात्यायनी स्वरूप।
करे नष्ट दुर्गुण सभी,मेधा शक्ति अनूप।।"

गजलकारा मधु गुप्ता जी ने अपनी ग़ज़ल पेश की इस दोहे के साथ आमंत्रित करने के बाद
कालरात्रि मां शुभकरी,पहने विद्युत माल।
तीन नेत्र ब्रम्हांड से,चमक रहा है भाल।।
अंत में अध्यक्षीय प्रतिवेदन और काव्य पाठ हेतु सरोज व्यास जी को इस दोहे के साथ मंच सौंपा गया।
श्वेत वृषभ आरूढ़ मां,श्वेतांबर है गात।
अष्ट वर्ष गौरी करे,जीवन सुखद प्रभात।।

कार्यक्रम का आरंभ प्रियंका सिंह के मनोहारी नृत्य के साथ हुआ वहीं मुख्य अतिथि नागपुर म्युनिसिपल कार्पोरेशन के जन संपर्क अधिकारी प्रखर पत्रकार श्री मनीष सोनी, पुस्तक मेला के प्रणेता श्री चंद्र भूषण जी ,राजेंद्र पटोरिया जी और कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र परिहार एकांत के हस्ते सभी कवियित्रियों तथा सम्मेलन के संचालक श्री अविनाश बागड़े जी का शाल और प्रमाणपत्र देकर सम्मान किया गया।
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