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विश्व लिपि के संदर्भ मे देवनागरी अत्यंत वैज्ञानिक लिपि : डॉ. शहाबुद्दीन शेख

नागपुर/रायपुर। वर्तमान में  वैश्विक स्तर पर अनेक लिपियाँ प्रचलित हैं, परंतु उनमें अपनी सरलता, सुगमता व सुपाठ्यता के कारण देवनागरी लिपि वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक वैज्ञानिक है। इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुयायी आचार्य विनोबा भावे की सद्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि परिषद, गांधी स्मारक निधि, राजघाट, नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष तथा पूर्व प्राचार्य, लोकसेवा महाविद्यालय, औरंगाबाद (छत्रपति  संभाजी नगर), महाराष्ट्र ने किया। 

केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित प्राध्यापक व्याख्यान यात्रा योजना में शहीद राजीव पांडेय  शासकीय महाविद्यालय, भाठागांव, रायपुर (छ.ग.) में 10 अक्टूबर को 'देवनागरी लिपि' पर वह अपना उद्बोधन दे रहे थे। डॉ. शेख ने आगे कहा कि, देवनागरी लिपि के पास अपनी दीर्घकालीन व ऐतिहासिक परंपरा है। 

परिपूर्ण वर्णमाला, ध्वनियों का वैज्ञानिक वर्गीकरण, प्रत्येक ध्वनि के लिए स्वतंत्र चिन्ह, स्वर और व्यजनों का निश्चित क्रम, उच्चारण व लेखन में सामंजस्य, विश्व की किसी भी भाषा को सीखने में सक्षम, कम्प्यूटर के लिए उपर्युक्त आदि अनेक गुणों के कारण देवनागरी के टक्कर की कोई भी लिपि नहीं है। देवनागरी भारतीय संविधान सम्मत एक राष्ट्रीय लिपि है। प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार दुबे ने अपने प्रास्तविक भाषण में व्याख्यान के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए अतिथि का स्वागत किया ।हिंदी  विभाग की सहा. प्राधापक डॉ. सुलेखा अग्रवाल ने अतिथि परिचय कराया। 

शोध छात्रा श्रीमती ज्योतिबाला साहू ने शॉल, श्रीफल व पुष्पगुच्छ देकर डॉ. शहाबुद्दीन शेख का स्वागत किया। डॉ. कौशल्या साहू, सहा. प्राध्यापक, वनस्पति विज्ञान, श्री शिवम सुखदेवे, सहा. प्राध्यापक, राजनीति शास्त्र एवं श्री अनिल कुमार राजपूत, प्रयोगशाला तकनीशियन ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. एल. एन. वर्मा, सहा. प्राध्यापक, वाणिज्य ने सभी का आभार ज्ञापन किया।
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