अनुवाद हमारे जीवन व्यवहार का अंग बन चुका है : डॉ. शहाबुद्दीन शेख़
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नागपुर/रायपुर। वर्तमान समय में जीवन के हर क्षेत्र में अनुवाद की आवश्यकता महसूस हो रही है। क्योंकि राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित हुए बाजारवाद, सूचनातंत्र, मीडिया प्रौद्योगिकी ने अनुवाद के माध्यम से पूरे विश्व को एक सूत्र में बाँध रखा है। परिणामतः ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अभिनव क्रांति आई है। अत: अनुवाद हमारे जीवन व्यवहार का अंग बन चुका है। ये विचार विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष तथा लोकसेवा महाविद्यालय, औरंगाबाद (छत्रपति संभाजी नगर) महाराष्ट्र के पूर्व प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख़, पुणे, महाराष्ट्र ने व्यक्त किए। केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित प्राध्यापक व्याख्यान यात्रा योजनान्तर्गत शहीद राजीव पांडेय, शासकीय महाविद्यालय, भाठागाँव, रायपुर, छत्तीसगढ़ (11 अक्टूबर, 2023) में आयोजित विशेष व्याख्यान में वे अपना उद्बोधन दे रहे थे।
डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने आगे कहा कि, दोयम दर्जे का कार्य समझे जाने वाले अनुवाद ने आज अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित की है। अत: मूल लेखन के समान ही अनुवाद को भी सम्मानित दर्जा प्राप्त हो चुका है।
अनुवाद का केंद्र बिंदु भाषा है। स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा से जुड़े अनुवाद शब्द ने छाया भाषा, टीका, व्याख्या, भाषानुवाद, भाषांतरों, पुनर्सृजन, तरजुमा, उल्था आदि अनेक शब्दों की सुदीर्घ यात्रा करते हुए उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में आकर पारिभाषिक शब्द ‘अनुवाद’ के रूप में स्वीकृति पायी। अनुवाद कार्य जितना सरल समझा जाता है, उतना सरल नहीं है।
यह जोखिम भरा कार्य है। सावधानीपूर्वक किया जाने वाला अनुवाद कार्य चिंतन, मनन और पुनर्सृजन है, परकाया प्रवेश है। अनुवादक को निरंतर अध्ययनशील तथा कार्यशील बने रहना होता है। भारत में अनुवाद की सुदीर्घ परंपरा विद्यमान है।
कार्यक्रम के आरंभ में शोध छात्रा ज्योतिबाला साहू ने डॉ. शहाबुद्दीन शेख़ जी का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। कार्यक्रम संचालन कर रहे डॉ. एल. एन. वर्मा ने गीतकार शैलेंद्र की पंक्तियों का उदाहरण देते हुए रोचक ढंग से यह बताया कि संस्कृत की सूक्तियों का सार इन पंक्तियों में है और यही अनुवाद और अनुवाद की ताकत है। डॉ. सुलेखा अग्रवाल, डॉ.कौशल्या साहू एवं श्री शिवम सुखदेवे ने विद्यार्थियों के सम्मुख अनुवाद का महत्व प्रतिपादित किया। प्रोफ़ेसर शहाबुद्दीन शेख़ ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान रोचक ढंग से किया। आभार प्रदर्शन डॉ. सुलेखा अग्रवाल ने किया।