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मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करती है शिक्षा : अजय पाठक

नागपुर। शिक्षा मनुष्य-निर्माण की प्रक्रिया है। यह मनुष्य के जीवन को सार्थकता प्रदान करती है। शिक्षा के बिना व्यक्तित्व का विकास संभव नहीं होता। उक्त विचार  महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई के सदस्य श्री अजय पाठक ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं। राष्ट्र के चरित्र निर्माण में उनकी गहन भूमिका होती है। एक उन्नत राष्ट्र का निर्माण उसके शिक्षकों और शिक्षा संस्थानों द्वारा निर्धारित होता है। श्री पाठक ने जोर देकर कहा कि प्राचीन काल में शिक्षा के कारण ही भारत की गणना विश्वगुरु के रूप में हुई। 
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ.मनोज पाण्डेय ने कहा कि मनुष्य जीवन में प्रत्येक दिन कुछ न कुछ सीखता है। सीखने-सीखाने का भाव ही हमें जिम्मेदार और दायित्वपूर्ण बनाता है। सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि शिक्षक के आचरण से विद्यार्थी सीखते हैं। आज हमें ध्येयनिष्ठ और उच्च मानवीय मूल्यों की आवश्यकता है। 

कार्यक्रम की प्रस्तावना विभाग की विद्यार्थी कु.पूजा चतुर्वेदी ने रखी। कु.गुंजन चंदेल ने गीत तथा आशीष उपाध्याय ने स्वरचित कविता प्रस्तुत की। 

यश वाघ ने शिक्षा संबंधी डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार, मिनी पाण्डेय ने स्वामी विवेकानन्द के विचार, अंकिता शुक्ला ने गांधीजी के विचार तथा ज्ञानेश्वर भेलकर ने डॉ. आम्बेडकर के विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर नेट - सेट परीक्षा में सफलता अर्जित करनेवाले विभाग के पूर्व विद्यार्थियों दिशांत पाटिल, विनय उपाध्याय तथा स्नेहा वानखेड़े का अतिथियों के हाथों सत्कार किया गया।

इस अवसर पर विभाग के शिक्षकों डॉ.सुमित सिंह, डॉ.कुंजन लिल्हारे, डॉ.एकादशी जैतवार, प्रा.जागृति सिंह, प्रा. दिशान्त पाटिल, प्रा.रूपाली हिवसे, प्रा.दामोदर द्विवेदी तथा एम. ए. के नव-प्रवेषित विद्यार्थियों का सत्कार किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी अतिशय जैन तथा माधुरी कावड़े ने किया एवं आभार डॉ.लखेश्वर चन्द्रवंशी ने व्यक्त किया।
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