हरितालिका तीज
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हरितालिका व्रत भाद्रपद की तृतीया को मनाया जाता है। इस पर्व को पूरा भारतवर्ष मानता है लेकिन बिहार. उप्र. एम पी. में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ प्रचुर मात्रा में मनाया जाता है।
इस बार हरतालिका तीज सोमवार 18 सितंबर को आ रही है, पूजा करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त बताई जा रहे हैं, पहले मुहूर्त 6:07 से 8:34 तक उसके बाद दूसरा मुहूर्त 9:11 से 10:43 तक रहेगा, तथा तृतीया मुहूर्त दोपहर 3:19 से शाम 7:15 तक है। इन तीनों मुहूर्त में से आप अपनी सुविधा अनुसार जब भी समय उपयुक्त लगें, आप पूजा अर्चना कर सकती हैं।
इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां निर्जला उपवास रखती हैं, कुछ कुमारिकाए भी इस उपवास को करती है, ऐसा कहा जाता है?कि कुंवारी लड़कियां यदि इस व्रत को विधि- विधान से करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है, वहीं दूसरीऔर सौभाग्यवती स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत विधि विधान से करती हैं।
इस दिन बालू का शिवलिंग बनाया जाता है। तथा उसकी पूजा अर्चना की जाती है ऊपर फूलों का रंग- बिरंगा फुलेरा बांधा जाता है, एक सुंदर वस्त्र भी फुलेरा पर लपेटा जाता है।इस दिन गुजियां पपड़ियां, खगड़िया आदि पकवान बनाए जाते हैं, कुछ लोग इसे फुलेरों पर भी लटकाते हैं।
वही बेसन गूंथ कर मां पार्वती के गहने बनाए जाते हैं, हार, कंगन, मंगलसूत्र अंगूठी, पायल आदि जेंवर मां पार्वती को चढ़ाए जाते हैं, साथ ही सुहाग सामग्री,पांच रंग के फल इस पूजा में चढ़ाए जाते हैं पांच प्रकार के फूल, श्रीफल,फल, बेलपत्र धतूरा भांग भी चढ़ाया जाता है।
महिलाएं सोलह सिंगार कर कर यह पर्व को बहुत ही धूमधाम से भजन- कीर्तन कर रात भर जागरण करके मनाती है, रतजगा होता है, वही महिलाएं मेहंदी रचतीं है, नृत्य करती है, और शिव पार्वती को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करती है, जय शिव ओंकारा आरती के पश्चात कर्पूर गौरम, प्रसाद वितरण सुहाग का सामान वितरित किया जाता हैं। और चरण स्पर्श कर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद भी लिया जाता है। प्रातः जलाशय में बालू की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।
- डॉ. कविता परिहार
नागपुर (महाराष्ट्र)