योग मानव जीवन का सबसे बड़ा धन
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योग के लाभ अनन्य हैं। सबसे पहले तो यह हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। योग से हमें चिंता मुक्त और तनाव मुक्त रहने के लिए साधन और तकनीक मिलते हैं। योग मानव जीवन का सबसे बड़ा धन है। धन क्या है? धन का उद्देश्य प्रसन्नता और आराम देना है।
योग इस दृष्टिकोण से धन ही है क्योंकि यह हमें पूर्ण आराम देता है। हिंसा मुक्त समाज, रोग मुक्त शरीर, सेहत के स्वास्थ्य संभ्रांति मुक्त मन, शंका रहित बुद्धि, सदमा रहित स्मरण शक्ति और एक दुःख रहित आत्मा, प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। पूरे विश्व की संसद सत्ता के एक ही ध्येय को पाने का प्रयत्न कर रही है वह है प्रसन्नता। हम समझते हैं कि योग केवल एक व्यायाम है।
क्यों दिखाई जाती है ध्यान मुद्रा पूरे विश्व में योग विश्राम, प्रसन्नता और क्रियात्मकता का पर्यायवाची बन गया है। यहां तक कि बड़ी कंपनियां अपने विज्ञापनों में आंतरिक शांति प्रदर्शित करने के लिये लोगों को योग की स्थिति या ध्यान मुद्रा में बैठे दिखाते हैं। हम इस बात को पसंद करें या न करें, हम सब जन्म से योगी ही हैं।
हम एक बच्चे को देखें तो हम समझ जायेंगे कि योग शिक्षक की आवश्यकता ही नहीं है। विश्व में कोई भी बच्चा 3 महीने से 3 वर्ष की उम्र तक योग के सारे आसन करता है। सांस लेना, जिस तरह वे सोते हैं, जिस तरह से वे मुस्कुराते हैं, यह सब योग है। एक बच्चा एक योग शिक्षक होता है, एक योगी होता है। इसीलिये बच्चा तनाव मुक्त होता है, उसमें प्रसन्नता होती है वह दिन में 400 बार मुस्कुराता है।
वर्तमान में हमारे जनजीवन का बड़ा भाग अवसाद से ग्रसित है। प्रोजैक नाम की अवसाद घटाने वाली दवा खा लेने भर से मदद नहीं मिलती। हमें कुछ ऐसा चाहिये जो प्राकृतिक हो, इतना प्राकृतिक जितना हमारा श्वास वह जिसके प्रयोग से हमारी आत्मा ऊपर उठे। योग का उद्देश्य है हमारे दैनिक जीवन में होने वाली, चिंता, तनाव और परिस्थितियां के होते हुए भी हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट लाना।
- दीपक लालवानी
नागपुर, महाराष्ट्र