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उभरते सितारे में 'स्नेह बंधन'

नागपुर। स्नेह माने प्रेम, प्रेम ही जिंदगी में आनंद एवं खुशी का निर्माण करता है। सबसे अच्छा प्रेम 'मां' का होता है। कबीर जी ने भी प्रेम की उपमा कई जगह दी है। 'प्रेम न बाड़ी उपजे प्रेम न हाट बिकाय'। मां बाप भी बच्चों को स्नेह के साथ जीवन का संदेश देते हैं। 

अपने शरीर में मन कहां है यह कोई डॉक्टर भी नहीं बता सकता। लेकिन, मन से ही खुशी और मन से ही दुख उपजता है। जिंदगी के सारे परिवर्तन मन से ही होते हैं, यह विचार भारतीय मौसम विभाग से सेवानिवृत्त श्री शशिकांत संगीडवार जी ने रखें।

विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित कलाकारों के लिए लोकप्रिय उपक्रम उभरते सितारे। जिसके अंतर्गत ज्ञानवर्धक और संगीतमय कार्यक्रम, उत्कर्ष हॉल में आयोजित किया गया। इस अवसर पर भारत सरकार के भारतीय मौसम विभाग से सेवानिवृत्त श्री शशिकांत संगीडवार जी अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 

इनका सत्कार संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृतिचिन्ह देकर किया। सबसे पहले कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए युवराज चौधरी ने 'स्नेह बंधन' विषय पर बच्चों को जीवन में रिश्तों का महत्व के साथ इसे नितांत आवश्यकता बताया। 

तत्पश्चात, कुछ बच्चों ने भी इस विषय पर प्रकाश डालते हुए बहुत ही सुंदर, निरामय और निरागस भाव से अपने-अपने गीतों की प्रस्तुति और बहारदार नृत्य से सबका मन मोह लिया। 

गीतों के क्रम में श्रेया हरणे, दुर्योधन निकोडे, हर्षाली हरणे , ओजस्वी नस्कर, क्रितिका बलवानी, मिहिका खोत, भव्या अरोरा, मान्या आहूजा, सुनीता हरणे, वंदना जनबंधु, राम बागल, मोहक केवलरामानी, जीत चावला, विधि कृपलानी आदि ने गीत सुनाए। जेके डांस एकेडमी से नंदिनी कृपाल, पीहुशा श्रीपाद, शनाया शेडे, अधीरा वणवे, क्रिती करमाकर, इच्छा धाकतोंड, वर्षा बारापात्रे, मापान्सी बारापात्रे आदि ने मनमोहक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी।

प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को किशन सोर, देवस्मिता पटनायक, अलका रुंगटा, किरण बलवानी, ज्योती कृपलानी, प्रीति बागल, वेदप्रकाश अरोरा और ममता बारापात्रे आदि ने खूब सराहा। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन संयोजक युवराज चौधरी ने किया। तथा आभार कृष्णा कपूर ने व्यक्त किया।
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