साहित्य में दृष्टि बदलने की शक्ति है : प्रभाकर टांडेकर
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नागपुर/सावनेर। आजादी के उपलक्ष्य में 'काव्य स्वतंत्रता' का राज्य स्तरीय महाकवि सम्मेलन अक्षरक्रांति फाउंडेशन एवं अस्तित्व फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में नागपुर जिले के सावनेर स्थित रामगणेश गड़करी रंगमंच में आयोजित किया गया।
'कविता सामंथा' वरिष्ठ कवि, लेखिका एवं आलोचक द्वारा आयोजित आमंत्रित कवियों का एक राज्य स्तरीय भव्य सम्मेलन है। प्रभाकर टांडेकर 'प्रदत्त' की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस काव्य गोष्ठी में अमलनेर में 97वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के निर्धारित सम्मेलन अध्यक्ष डाॅ. रवीन्द्र शोभने (सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कहानीकार, नागपुर) का अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर विशेष उपस्थिति के रूप में विदर्भ साहित्य संघ, केंद्रीय संगठन, नागपुर के अध्यक्ष प्रदीप दाते, उद्घाटनकर्ता तहसीलदार प्रतापराव वाघमारे, स्वागताध्यक्ष गणेश भाकरे, मुख्य अतिथि साप्ताहिक विदर्भ वतन एवं दैनिक दिव्य वतन के संपादक गोपाल कदुकर, उपतहसीलदार दाबेकर साहब, वीएस संघ के खुशाल गुल्हाने, सना पंडित मुख्य रूप से उपस्थित थे।
'1 जुलाई किसान दिवस' के अवसर पर 'किसान कविता' पर आधारित 'गिरजई तांडेकर स्मृति राष्ट्रीय कविता लेखन प्रतियोगिता' के विजेताओं को काव्य गोष्ठी में गणमान्य अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।
'गिरजई तांडेकर स्मृति राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता' में महाराष्ट्र के 34 जिलों के साथ-साथ गोवा, गुजरात और केरल के कुल 250 कवियों और कवयित्रियों ने भाग लिया।
इनमें पहला पुरस्कार चंद्रपुर की मशहूर कवयित्री गजलकार एम. अर्जुमनबानो शेख की कविता 'हे मयमती' को दिया गया, दूसरा पुरस्कार अमरावती के कवि मोहम्मद को दिया गया. खुशाल गुल्हाने की कविता 'घमचे मोल' को तीसरा पुरस्कार दिया गया जबकि ठाणे की कवयित्री को तीसरा पुरस्कार दिया गया। सरोज गाजरे की कविता 'आलम उधन अभाली' ने बाजी मारी। काव्य प्रतियोगिता की परीक्षा प्रो. मीनल येवले और डॉ. लीना निकम, नागपुर द्वारा किया गया।
'कविता स्वतंत्रता' के इस महाकाव्य काव्य समारोह में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से लगभग 50 प्रसिद्ध कवियों को आमंत्रित किया गया था। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयित्री मा. मंजूषा कौतकर द्वारा किया गया। कवि सम्मेलन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता वर्धा की कवयित्री नीलाम्बरी सदन ने की जबकि कवि सम्मेलन के दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध वरहदी एवं हास्य कवि दिवाकर देशमुख ने की।
कवि संघ के अध्यक्ष प्रभाकर टांडेकर ने 'प्रदत्त' प्रशंसकों को संबोधित करते हुए कहा कि कविता की विषय-वस्तु का सौंदर्य एक नए संदर्भ, एक नए युग को जन्म देने की रचनात्मक शक्ति रखता है। इसके लिए कवियों को किस प्रकार अपनी काव्य प्रतिभा का उपयोग वंचितों, वंचितों एवं सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए करना चाहिए।
उद्घाटनकर्ता प्रतापराव वाघमारे ने मराठी भाषा के साथ-साथ अन्य बोलियों के संरक्षण के लिए विविध साहित्य सम्मेलन की आवश्यकता जताई।
डॉ रवीन्द्र शोभने ने अभिनंदन का जवाब देते हुए कहा कि यह सिर्फ मेरा अभिनंदन नहीं है बल्कि यह उन सभी लेखकों का अभिनंदन है जिन्होंने मराठी भाषा की सेवा की है। इससे मुझे साहित्य सेवा करने की ऊर्जा मिली है। प्रदीप दाते ने वीएसए संघ की शाखा के विस्तार एवं पुनरुद्धार पर जोर दिया। समापन कार्यक्रम का आभार अस्तित्व फाऊंडेशन महिला मंडल की अध्यक्षा सौ मंजू हेडाऊ द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने हेतू आयोजक अक्षरक्रांति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष शंकर घोरसे एवं अस्तित्व फाऊंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अॅड. प्रकाश हेडाऊ, मंजू हेडाऊ, वंदना घोरसे, संजय टेंभेकर, बाबा निमजे, नामदेव राऊत एवं साथियों ने अथक प्रयास किया। काव्य गोष्ठी का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में कवि जुटे।