उपभोगकर्ता न बन कर उपयोगकर्ता बने : प्रभु प्रेमी कन्हैयालाल पालीवाल
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नागपुर। उपभोगकर्ता न बन कर उपयोगकर्ता बने ऐसे उद्धगार टेकडी रोड़ स्थित माहेश्वरी भवन में पालीवाल सेवा मंडल तथा भागवत कथा उत्सव समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में आये प्रसंग गिरिराज धरन (छप्पन भोग),महारास, कंसवध, गोपी गीत, श्रीकृष्ण-रूखमणी विवाह, आदी प्रसंगों का विसलेशन करते हुये कहा।
कथा के छठवें दिन प्रभु प्रेमी श्री कन्हैयालाल जी पालीवाल (नोखा मण्डी) बीकानेर राजस्थान ने अपनी अमृतमयवाणी से प्रसंग तथा भजनो के माध्यम से भगवत प्रेमी भक्तों को सरल और सिधे भाषा मे कथा का विश्लेषण कर समझाया।
महाराज श्री ने कहा क्रोध के तीन प्रकार हैं 1) जल पर लकीर, 2) रेत पर लकीर, 3)पत्थर पर लकीर और इन मे से साधु संतों के क्रोध का जो प्रकार है वो जल तथा रेत पर लकीर जैसा होता है जो पल भर मे समाप्त हो जाता है पर मनुष्य जाती का क्रोध यह पत्थर पर गीरी लकीरें जैसा होता है जो तुट जायेगा फुट जायेगा लेकिन क्रोध समाप्त नही होता।
भागवत का हर ऐक प्रसंग संदेश देता है, भगवान समता का संदेश देते हैं। महाराज श्री ने गौ सेवा का संदेश देते हुए कहा मेरी सात राज्यों मे की गई कथाओं के माध्यम से देश के 75से ज्यादा गौ शालाओं को अब तक करोड़ों रुपए राशी प्रदान की गई।
भागवत कथा उत्सव समिति द्वारा गौ सेवा झोली घुमाई गयी जिसमे गौ सेवको के माध्यम से 38353रू की राशी जमा हुई वही बड़ी संख्या में गौ भक्तों के माध्यम से राजस्थान मण्डला के बाल कन्हैयालाल गौ शाला को गौ सेवा राशी दी गई।
पालीवाल सेवा मंडल अध्यक्ष वसंत पालीवाल, सचिव डॉ कृष्ण कांत पालीवाल, कोषाध्यक्ष संतोष धामट, अध्यक्ष महीला समिति सिमा पालीवाल सह समस्त कार्य कारणी पालीवाल सेवा मंडल तथा भागवत कथा उत्सव समिति अध्यक्ष गोपीलाल पालीवाल, सचीव राजेन्द्र पालीवाल, कोषाध्यक्ष अमीत सुहाम सह सभी पदाधिकारी समेत पालीवाल समाज की ओर, से सभी भगवत प्रेमी भक्तों को बड़ी संख्या मे कथा श्रवण तथा महाप्रसादी के लिए उपस्थित रहने का आव्हान किया गया।