स्वतंत्रता में काव्य का योगदान अग्रणी : शांतिलाल कोचर
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नागपुर। जो काम कोई नहीं कर सकता वो काम कवि की कविता कर दिखाती है। कवि के पास वीर रस की कविता का बड़ा हथियार है। जो बड़े-बड़े योद्धाओं को परास्त कर सकता है या फिर बड़े-बड़े योद्धा बना सकता है। ऐसे अनेकों उदाहरण है। देश की स्वतंत्रता में काव्य का योगदान अग्रणी रहा है। साहित्य विचारों का बम है।
उक्त उद्गार शांतिलाल कोचर 'गोल्डी' ने अध्यक्षता करते हुए विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कार्यक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित देशभक्ति कवि सम्मेलन में व्यक्त किये व देशभक्ति रचना प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. विनोद नायक ने किया। अतिथि का स्वागत गोपाल व्यास सागर, हेमलता मिश्र मानवी व शादाब अंजुम ने किया।
काशीनाथ जांभुलकर, गोपाल सिंह भारती, प्रकाश जयसिंघानी, डॉ. भोला सरवर, हफीज शेख नागपुरी, अभिनव सिंह, रुबीदास अरु, हेमलता मिश्र मानवी, नीलिमा गुप्ता, सरोजगर्ग, अमिता शाह, रमेश मौंदेकर, दामोदर भगत, संजीव बहादुर महोलिया, रवि कानेकर मनचला, उमर अली अनवर, सुरेन्द्र हरडे, अमानी कुरेशी,
चंद्रकला भरतिया, मीरा जोगलेकर, गुलाम मोहम्मद खान आलम, डॉ. मिलिंद इंदुरकर, प्रिंस कश्यप, रिंकी सिंघल, माधुरी मिश्रा, मजीद बेग मुगल 'शहजाद, अब्दुल कदीर बख्श, आरिफ काजी जोश, गोपाल व्यास सागर व शादाब अंजुम ने वीर रस व देशभक्ति की कविता की गंगा बहाई। आरिफ काजी जोश व अमानी कुरैशी को श्रेठ रचना हेतु सम्मानित किया गया।