कला में होते हैं भारतीय संस्कृति के दर्शन : मिश्रा
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नागपुर। नृत्य और अन्य कलाएं यह कला का माध्यम भले ही हो फिर भी वह एक संस्कार भी होता है और इस संस्कार में ही भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। यह बात कराड स्थित कृष्णा अभिमत के कुलपति डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने स्वप्नपूर्ति कला केंद्र के तत्ववावधान में 'ओपन डायस' की पहली वर्षगांठ पर ब्लाइंड रिलीफ सोसाइटी के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि ओपन डाइस' एक उल्लेखनीय मंच के रूप में उभरा है जो सीमाओं से परे जाकर भारतीय शास्त्रीय प्रदर्शन कला की सभी शैलियों को बढ़ावा दे रहा है। उभरते और निपुण कलाकारों के लिए यह मंच दो पीढ़ियों के बीच एक पुल के रूप में काम कर रहा है। कार्यक्रम में गुरु कुन्दनलाल गंगानी की विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित कर शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण की प्रतिबद्धता को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
नृत्य उत्सव की शुरुआत केंद्र के कलाकारों द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली गणेश वंदना से हुई। दिल्ली से पधारी पंडित बिरजू महाराज की शिष्या संध्या भार्गव ने श्याम भजन पर एक शानदार नृत्य प्रस्तुत किया।
कथक के सरताज राजेंद्र गंगानी ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली शिव वंदना के साथ शास्त्रीय कला के विभिन्न तत्वों को दर्शाने वाली नृत्य यात्रा शुरू की जिसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने त्रुटिहीन चक्कर और जटिल फुटवर्क का अदभुत नृत्य प्रस्तुत कर कुछ पल के लिए सभी दर्शकों की सांसे रोक दी। प्रदर्शन का एक आकर्षण ठाठ, तोड़े, टुकड़े, उपज, परन भी रहा। तबले पर पं. फ़तेह सिंग गंगानी, गायन और हारमोनियम पर समीउल्लाह खान और वायलिन पर सिरीश भालेराव ने संगत की।
कार्यक्रम का खास आकर्षण रहा नाना मिसाल द्वारा नृत्य प्रदर्शन के साथ-साथ लाइव हैंड पेंटिंग कलाकारों को पंडित राजेंद्र गंगानी के हाथों सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की सफलता का श्रेय स्वप्नपूर्ति कला केंद्र नागपुर के निदेशक, गुरु मदन पांडे को जाता है। आभार डॉ. संगीता देशपांडे ने माना। सुश्री केतकी काणे सालनकर एवं धनश्री बेंद्रे पाठक ने शानदार संचालन किया।