लोक भाषा और साहित्य के अनुसंधान की प्रक्रिया गहरी निष्ठा की अपेक्षा करती है
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नागपुर/उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा प्रसिद्ध कवि पद्मभूषण डॉ शिवमंगलसिंह सुमन स्मरण एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी लोक साहित्य एवं संस्कृति के सरोकार पर केंद्रित थी। संगोष्ठी की मुख्य वक्ता लोक संस्कृति मनीषी डॉ मीना साकल्ले, इंदौर थीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि श्री अक्षय कुमार चवरे, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा थीं। कार्यक्रम में वक्ताओं ने श्री शिवमंगलसिंह सुमन के व्यक्तित्व और योगदान का स्मरण किया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ मीना साकल्ले, इंदौर ने कहा कि लोक भाषा और साहित्य के अनुसंधान और सर्वेक्षण की प्रक्रिया गहरी निष्ठा और परिश्रम की अपेक्षा करती है। लोक साहित्य के अध्येता लोक के बीच जाएं और उनसे प्रामाणिक सूचनाएँ और तथ्य संकलित करें।
वर्तमान में पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे लोक साहित्य को सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने निमाड़ी लोक शब्दावली के सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से किए गए अपने महत्वपूर्ण शोध कार्य की जानकारी दी। कार्य के दौरान उन्होंने कृषि, वन संपदा, घरेलू सामग्री आदि से जुड़े सैकड़ों शब्दों का व्यापक संग्रह निमाड़ क्षेत्र से किया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि भारत की लोक संस्कृति अत्यंत समृद्ध परम्पराओं और विरासत की संवाहक है। संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने की प्रक्रिया में अन्तर्निहित होती है।
मध्यप्रदेश की लोक और जनजातीय संस्कृति में जीवन और समाज की विविधरंगी परम्पराओं, आस्था और विश्वास का समावेश है। साहित्य सहित लोक की विविधमुखी अभिव्यक्तियों को आधार देती हुई भारत की लोक-संस्कृति अत्यंत व्यापक है। इसे पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करने की जरूरत है।
साहित्यकार श्री अक्षय कुमार चवरे ने कहा कि मालवा और निमाड़ क्षेत्र की लोक परम्पराएँ, साहित्य और संस्कृति अत्यंत समृद्ध है। इन्हें सहेजने के लिए युवा पीढ़ी आगे आए।
इस अवसर पर लोक भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए इंदौर की लोक मनीषी डॉ मीना साकल्ले को शॉल ओढ़ाकर एवं पुस्तकें अर्पित कर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम में अनेक शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी उपस्थित थे।
संगोष्ठी सत्र का संचालन शोधार्थी श्री श्यामलाल चौधरी ने किया। आभार प्रदर्शन श्री जगदीश कुमार, बाड़मेर ने किया।