तुलसी लोक के कवि हैं : प्रो. गीता सिंह
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नागपुर। तुलसी का काव्य लोक का काव्य है। उसमें लोक जीवन के उच्च आदर्शों की प्रतिष्ठा हुई है। उनके साहित्य में लोक जीवन की विविध छटाएं विद्यमान हैं। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफ़ेसर गीता सिंह ने कही। वे हिंदी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तुलसी जयंती समारोह को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि तुलसी का मानस भारतीय जीवन का आईना है। उसमें भारतीय जीवन मूल्यों का अंकन हुआ है। तुलसी का काव्य हमें सामाजिक जीवन में उच्च मानवीय मूल्यों की सीख देता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि तुलसी भारतीय समाज के एक ऐसे नायक हैं जिन्होंने जीवन के शुभ्र एवं उदात्त पक्षों के साथ अनेकानेक सामाजिक विसंगतियों का चित्रण किया है। उनके काव्य में लोक की विविध अनुगूंजें सुनाई पड़ती हैं। हमें तुलसी के साहित्य का वाचन उनके कवि- मर्म को दृष्टिगत रखते हुए करना चाहिए। तुलसी केवल धर्मध्वजा के वाहक नहीं हैं, बल्कि जनजीवन के हर्ष-विषाद के गायक भी हैं।
आभार प्रदर्शन करते हुए विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि तुलसी लोकतांत्रिक कवि हैं। उनके साहित्य में जनजीवन का यथार्थ चित्रण हुआ है। संचालन डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने किया।
इस अवसर पर आयकर विभाग के सहायक निदेशक (राजभाषा) अनिल त्रिपाठी, विभाग के प्राध्यापकगण डॉ. सुमित सिंह, डॉ. कुंजनलाल लिल्हारे, प्रा. जागृति सिंह, प्रा. दामोदर द्विवेदी, प्रा. दिशांत पाटिल, प्रा. रूपाली हिवसे सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।