डॉ. गोविन्द प्रसाद उपाध्याय की संस्मरणात्मक कृति 'कृतज्ञ जीवन' का हुआ लोकार्पण
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नागपुर। संस्मरण जीवन के अनुभूत क्षण होते हैं, लेखक जो अपने जीवन में भोगता है या प्रत्यक्ष देखता सुनता है, उसे संस्मरणों के रूप में प्रस्तुत करता है, अतः संस्मरण जीवन्त साहित्य होते हैं।
उक्त उद्गार नागपुर के सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य एवं साहित्यकार डॉ. गोविन्द प्रसाद उपाध्याय की संस्मरणात्मक कृति 'कृतज्ञ जीवन' का लोकार्पण करते हुये डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने व्यक्त किये। उन्होंने अतिशयोक्ति से बचते हुये सप्रमाण संस्मरण प्रस्तुत करने के लिये डॉ. उपाध्याय का अभिनन्दन किया।
इस अवसर पर बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के संयुक्त प्रबंध संचालक श्री सुरेश शर्मा ने कृतज्ञ जीवन ग्रंथ में वर्णित गुरू भक्ति एवं संकल्पशक्ति की भूरि भूरि सराहना की।
कार्यक्रम अध्यक्ष महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, व के प्रति कुलपति प्रो. चन्द्रकान्त रागीट ने कहा कि जिन पेड़ों में मीठे फल होते है, उन्हें ही लोग पत्थर मारते हैं। इसी प्रकार गुणी लोगों को जीवन में संघर्ष करना पड़ता हैं । इस ग्रन्थ को पढ़ते हुये लगता है कि ये तो हमारे जीवन की कहानी है। यह लेखक की सफलता है। प्रारम्भ में श्रीमती शशि भार्गव प्रज्ञा ने सरस्वति वन्दना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन अतुल त्रिवेदी ने एवं आभार प्रदर्शन डॉ. कल्पेश उपाध्याय ने किया।
कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. बृजेश मिश्रा, पूर्व न्यायाधीश किशोर रोही, डॉ. सुरेश चांडक, डॉ. मनोहर व्यास, डॉ. मृत्युंजय शर्मा, डॉ. अर्चना दाचेवार, दयाशंकर तिवारी मौन, ओमप्रकाश शिव, अनिल त्रिपाठी, राजेन्द्र पटोरिया, नरेन्द्र परिहार, जयराम दुबे, रामनारायण मिश्रा, डॉ. आभा सिंह, डॉ. प्रदीप उपाध्याय आदि गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।