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अखंड भारत संकल्प दिवस की 51 वर्षों की पूजा, आराधना सफल होगी : प्रा. विजय केवलरामानी


नागपुर। जरीपटका स्थित राजकुमार केवलरामानी कन्या महाविद्यालय के प्रांगण में सोमवार दिनांक 14 अगस्त को 'अखंड भारत संकल्प दिवस', अनिल भारदवाज (संघचालक, सदर भाग) के मुख्य आतिथ्य, प्रा. विजय केवलरामानी (राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंध मुक्ति संगठन) की अध्यक्षता, प्राचार्या श्रीमती वंदना खुशालानी (राष्ट्रीय उपाध्यक्षा, भारतीय सिंधु सभा), प्रताप मोटवानी (अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिंधी समाज संगठन), डॉ विंकी रुघवानी (अंतर्राष्ट्रीय चेयरमैन, सिंधी समाज संगठन), राजकुमार शर्मा (धर्मप्रसार प्रचारक, विश्व हिंदू परिषद, विदर्भ प्रांत), सुरेश जग्यासी (अध्यक्ष, नाग-विदर्भ सेंट्रल सिंधी पंचायत), कैलाश केवलरामानी (राष्ट्रीय महासचिव, सिंध मुक्ति संगठन), राजू हिंदुस्तानी, पुरुषोत्तम रंगलानी, चंद्र टेकचंदानी, पी.डी. केवलरामानी, पंडित मुरलीधर शर्मा, पी.टी. दारा, श्रीमती भागेश्वरी खेमचंदानी (अध्यक्ष, महाराष्ट्र सिंधी समाज संगठन), विजय नाड़ेकर (महात्मा फुले समता परिषद), जसविंदरसिंग सैनी, सांईं श्री मोहनलाल जग्यासी, प्राचार्या श्रीमती नीलम आहुजा (अध्यक्ष विदर्भ प्रांत सिंध मुक्ति संगठन), प्राचार्या डॉ उर्मिला डबीर, प्रधानध्यापिका श्रीमती रशमी वाधवानी व श्रीमती रिचा केवलरामानी के विशेष आतिथ्य में सोत्साह संपन्न हुआ। 

अनिल भारद्वाज ने कहा कि विभाजन के बाद हम सिंध को छोड़कर आये तो केवल अपना धर्म बचाने के लिये। इज़राईल 2500 साल तक गुलाम रहा और उसके बाद उन्होंने अपने देश को आज़ाद कराया। जब तक समाज खड़ा नहीं होगा तब तक क्रांती नहीं आयेगी। प्रा. विजय केवलरामानीजी गत 51 वर्षों से यह कार्यक्रम मनाते आ रहे हैं उनका लक्ष्य अवश्य पूर्ण होगा व सिंध मुक्त होकर भारत अखंड बनेगा। 

प्रा. विजय केवलरामानी ने कहा कि भारत का विभाजन अस्भाविक, कृत्रिम, बनावटी, अप्राकृतिक व गलत आधार पर हुआ है। सिंधु नदी के पावन तट पर वेंदो की रचना हुई थी आज सिंध भारत में नही परंतु राष्ट्रगान में है जिस प्रकार वेंदो के बिना भारत की कल्पना नही की जा सकती उसी प्रकार सिंध के बिना हिंद अधुरा हैं। अत: यह विभाजन बहुत समय तक नही चलेगा क्योंकि असत्य पर आधारित कोई भी चीज स्थाई नहीं अस्थाई होती है। सिंधी समाज को विभाजन के वक्त अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा। यह हमारे साथ अन्याय हुआ। 1947 में इतिहास बदला था। हमारा कार्यक्रम अखंड भारत संकल्प दिवस (सिंध मुक्ति संकल्प दिवस) यह इतिहास व भूगोल दोनों को बदलेगा। अब सिंध पुनः भारत से मिलेगा और भारत अखंड होगा। 

श्रीमती वंदना खुशालानी ने कहा कि हमें विभाजन के दर्द को भूलना नहीं चाहिये। जब तक समाज अपने ऊपर हुए अन्याय को याद नहीं करता तब तक उसका प्रतिकार नहीं कर सकता। सिंध मुक्ति संगठन द्वारा आंदोलन के माध्यम से भारत के लोगों को जागरुक कर यह आंदोलन जिस दिन उग्र रूप लेगा उस दिन अखंड भारत का सपना साकार होगा।

प्रताप मोटवानी ने कहा कि सिंध प्रांत जो हमारी भारतीय संस्कृति का उदगम स्थान है वह उदगम स्थान पाकिस्तान में कैद है। प्रा. विजय केवलरामानी जो समाजसेवा का आदर्श हैं 14 अगस्त को संकल्प करके याद दिलाते हैं कि जब तक सिंध मुक्त नहीं होता तब तक भारत की आज़ादी अधूरी है। इसलिए अब हमारा “सिंध” पाकिस्तान की गुलामी से जल्द ही मुक्त होकर पुर्ववत हमारा हिस्सा बनेगा। 

डॉ. विंकी रुघवानी ने कहा कि आज का यह विशेष दिन विभाजन के दर्द का स्मरण करने के लिये है। आज से 5 वर्ष पूर्व केवल दादा प्रा. विजय केवलरामानी यह कार्यक्रम मना रहे थे परंतु आज यह कार्यक्रम पूरे देश में मनाया जाता है। आज माननीय प्रधानमंत्री भी इस दिन को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मना रहे हैं। दादा प्रा. विजय केवलरामानीजी मन में सिंध मुक्ति का सपना संजोए हुए हैं और यह सपना अवश्य साकार होगा।

राजकुमार शर्मा ने भारत माता और भगवान झूलेलाल के चरणो में नमन करते हुए कहा कि हमारे दादा प्रा. विजय केवलरामानी पिछले 51 वर्षों से इस कार्यक्रम को आयोजित कर रहे हैं। आज पूरे देश को विष्वास है कि आज नहीं तो कल सिंध भारत का हिस्सा होगा। 

सुरेश जग्यासी ने कहा कि मैं दादा प्रा. विजय केवलरामानी की दूरदृष्टी को सलाम करता हूं कि उन्होंने 51 वर्ष पहले यह कार्यक्रम शुरू किया। धर्म के आधार पर विभाजन होने के बावजूद भारत धर्मनिरपेक्ष रहा और इसीलिये भारत की तरक्की हुई है। विभाजन की त्रासदी सबसे ज्यादा सिंधी समाज ने झेली है लेकिन सिंधी समाज अपने पुरुषार्थ से फिर से खड़ा हुआ है। 

कैलाश केवलरामानी ने कहा कि भारत को अखंड बनाने की आग सीने में जलाकर रखना यह इस कार्यक्रम की कोशिश है। हमने सिंध मुक्ति का संकल्प किया है वह अवश्य पूरा होगा व सिंध मुक्त होकर भारत अखंड बनेगा।

राजू हिंदुस्तानी ने कहा कि 14 अगस्त इतिहास का काला दिन हैं। सिंध प्रांत जो हमारी भारतीय संस्कृति का उदगम स्थान है वह उदगम स्थान पाकिस्तान में कैद है। सिंध मुक्ति का संकल्प बहुत अच्छा है सिंध मुक्ति होकर अंखड भारत का सपना अवश्य पूर्ण होगा।

पी. डी. केवलरामानी ने कहा कि 1947 के भारत विभाजन में सिंधीयों ने बहुत त्याग किया है। सिंधी समाज को विभाजन का दुःख सबसे ज्यादा सहना पड़ा है। हमारा कार्यक्रम अखंड भारत संकल्प दिवस यह इतिहास व भूगोल दोनों को बदलेगा अर्थात सिंध बिना हिंद अधुरा हैं।

जसविंदरसिंह सैनी ने कहा कि सिंध मुक्ति यह राष्ट्रीय कार्य है तथा सभी को इसमें सहभाग देना चाहिये। हम भारत अखंड जरुर बनाऐगें।  

कुशल मंच संचालन श्रीमती मिताली मेहता ने तथा आभार प्रदर्शन श्रीमती रिचा केवलरामानी ने किया। इस अवसर पर सिमबायोसिस यूनिवर्सिटी के असिस्टंट प्रोफेसर डॉ. मोहित कांत कौशिक ने विभाजन की त्रासदी पर कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सर्वश्री विराग राऊत, विजय विधानी, मेलाराम गोधानी, सुरेश खिलवानी, हीरालाल ढोलवानी, दिलीप बदलानी, शंकरलाल वलेचा, प्रकाश टहलरामानी, राजकुमार केवलरामानी, प्रेम झामनानी, बलवंतसिंग सपरा, प्रभात सुरावर्मा, राकेश बिहारी वर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 
अंत में सभी अतिथियों ने सिंध को बंधन से मुक्त कराया। पंडित मुरलीधर शर्मा ने पल्लव व अरदस की। प्रा. विजय केवलरामानी ने प्रज्जवलित मशाल के साथ सिंध मुक्ति अर्थात अखंड भारत के निर्माण का सभी से संकल्प करवाया।
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