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नागरी लिपि परिषद् ने 48वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया


नागपुर पुणे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परम अनुयायी आचार्य विनोबा भावे जी की सत् प्रेरणा से राष्ट्रीय एकता के लिए स्थापित नागरी लिपि परिषद्, गांधी स्मारक निधि, राजघाट, नई दिल्ली ने अपना 48 वां स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से गांधी स्मारक निधि परिसर में मनाया। 

इस गरिमापूर्ण समारोह  में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की सुपौत्री और एक मात्र भारतीय गवर्नर जनरल स्व. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जी की दोहित्री (नवासी) श्रीमती तारा गांधी भट्टाचार्य जी की थीं। ज्ञात हो कि श्रीमती तारा गांधी भट्टाचार्य जी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सुपुत्र देवदास गांधी की सुपुत्री है। 

गांधी स्मारक निधि, राजघाट के अध्यक्ष श्री रामचंद्र राही, आचार्य काका साहब कालेकर की दत्तक पुत्री सुश्री कुसुम बेन शाह, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक डॉ. ए. अन्नामलाई, गांधी स्मारक निधि, राजघाट के मंत्री श्री संजय सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। नागरी लिपि परिषद के संयुक्त सचिव और प्रसिद्ध पत्रकार डॉ. विनोद बब्बर ने स्वागत किया। कार्यालय मंत्री श्री अरुण कुमार पासवान ने परिषद की स्थापना के लक्ष्य, उद्देश्य और इतिहास पर प्रकाश डाला। 

नागरी लिपि परिषद् के कार्याध्यक्ष तथा परिषद् के सबसे पुराने सदस्य प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने परिषद् की उपलब्धियां और प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि,परिषद् की आरंभ से ही गौरवशाली परंपरा रही है, जो आज भी  बरकरार है। वर्तमान स्थिति में नागरी लिपि परिषद् अपने अनेक नित नूतन उपक्रमों के माध्यम से नागरी लिपि के प्रचार-प्रसार, विकास कार्य में भरपूर योगदान कर रही है। 

परिषद् के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति डॉ.  प्रेमचंद पातंजलि जी, महामंत्री तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. हरिसिंह पाल जी तथा परिषद् के अन्य पदाधिकारियों का परिषद्  की गतिविधियों में अमूल्य व प्रशंसनीय योगदान है। नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने परिषद्  के वर्तमान कार्यों और देश-विदेश के नागरी लिपि प्रेमियों से मिले जन सहयोग का विवरण प्रस्तुत किया। 

नागरी लिपि परिषद् के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने अंगवस्त्र और नागरी साहित्य भेंट कर श्रीमती तारा गांधी भट्टाचार्य का स्वागत किया। परिषद्  के कोषाध्यक्ष आचार्य ओमप्रकाश ने श्री रामचंद्र राही को अंग वस्त्र और नागरी साहित्य भेंट किया। रायपुर, छत्तीसगढ़ के ग्रेसियस शिक्षा महाविद्यालय के शिक्षा मनोविज्ञान की सह प्राध्यापिका डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने सुश्री कुसुम बेन शाह को अंग वस्त्र एवं नागरी लिपि साहित्य देकर स्वागत किया।

इस समारोह में परिषद्  की मुख्य त्रैमासिक पत्रिका ‘नागरी संगम’; श्री अरुण कुमार पासवान की अंगिका काव्य कृति ‘कनफ़ुक्का’; ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के महासचिव डॉ. शिवशंकर अवस्थी की ‘पटकथा कवि’ और डॉ. रघुनाथ पांडे की संपादित कृति ‘पूर्वोत्तर भारत, भाषा और लिपि’ का लोकार्पण किया गया। श्रीमती तारा गांधी भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी मां तमिल भाषी और पिता गुजराती और पति बंगाली थे। 

समारोह में पूर्व क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त और इतिहास लेखक श्री राजीव कुमार पाल, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के पूर्व उपनिदेशक श्री उमाकांत खुबालकर, आर्य लेखक परिषद के मंत्री श्री अखिलेश आर्यइंदु, इंडियन ऑयल के पूर्व महाप्रबंधक (राजभाषा) श्री राजपाल सिंह यादव, दूरदर्शन केंद्र श्रीनगर के पूर्व निदेशक डॉ. अजय कुमार ओझा, लेखिका डॉ. मधु अस्थाना, कोलकाता से प्रकाशित बहुभाषी पत्रिका ‘साहित्य त्रिवेणी’ के संपादक डॉ. वीर सिंह मार्तंड, श्रीमती मधु शर्मा, कवयित्री श्रीमती किरण कुमारी, प्रसिद्ध शायर सरफराज अहमद, कवयित्री गुलबहार सिद्दिकी, लेखक कृष्ण कुमार माहेश्वरी, यूनी वार्ता के उपमुख्य संपादक श्री सत्य प्रकाश पाल उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने किया।
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