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उभरते सितारे में 'बदलते मौसम में'



नागपुर। बदलते मौसम की संवेदना निरीह प्राणियों को सबसे पहले होती है । तथा, मनुष्य पर भी इसका प्रभाव नजर आता है। यह बात इंजीनियर श्री मोहन जी ने बच्चों से कही। तथा, विस्तार पूर्वक बदलते मौसम में किस तरह जीवन को खुशियों के साथ जिया जाए यह बताया। सभी ऋतुओं की विशेषता का वर्णन करती हुई स्वरचित कविता उन्होंने सुनाई।
 
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का सदाबहार लोकप्रिय उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'बदलते मौसम में' विषय पर शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें अतिथि के रूप में सीएमपीडीआई के महाप्रबंधक (से.), इंजीनियर श्री मोहन जी उपस्थित थे। इनका सत्कार संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। जिसमें सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने सहयोग किया।

शुरुआत में कार्यक्रम की प्रस्तावना सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने रखी। जिसमें उन्होंने, 'बदलते मौसम में' को विस्तृत रूप से समझाया। तत्पश्चात, बच्चों ने एक से बढ़कर एक अपनी प्रस्तुतियों से उपस्थित सभी का मन मोह लिया। 

जिसमें आदित्य बोकड़े,  विवान पंकज महात्मे ने सुंदर तबला वादन किया। संपूर्णा रेमंडल,  रिधीशा बागडे और पूर्वी मंगेश वैद्य ने शानदार नृत्य पेश किया। मोहम्मद शहजाद, श्रेया हरणे, हर्षाली हरणे, शिवन्या कांबळे, त्रिशिका वाघमारे, काव्या दमानी, भव्या अरोरा, राम बागल, इधा मजूमदार, सोहिनी लूहा ने बहुत सुंदर गीत सुनाए। 

नवोदित कलाकारों की प्रस्तुतियों को सीमा लूहा, रौनक रूंगटा, मोनिका रेमंडल, सुनिता हरणे,  बाबा खान, राहुल बोबडे, मधुरा मजूमदार, आशा वेदप्रकाश अरोरा, देवस्मिता मानस पटनायक, प्रीती बागल आदि ने बहुत सराहा। 

कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तथा उपस्थित सभी दर्शक, अभिभावक, कलाकारों और सुधिजनों का आभार सह संयोजिका वैशाली मदारे ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।
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