साहित्य, सत्य संकल्प के लिए प्रेरित करता है : जयंत दीक्षित
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नागपुर। मैं कवि नही हूँ, परंतु मेरे दादाजी कविताएं लिखते थे, मुझे कविताएं पढ़ने का बड़ा शौक है। आज आप सभी की कविताओं को सुनकर मन गदगद हो गया। साहित्यकार की साधन तभी सफल मानी जाती है जब पाठक उस काव्य भाव में बह जाये। उस कर्तव्य को पूर्ण करने का संकल्प मन में ठान ले। साहित्य, सत्य संकल्प के लिए प्रेरित करता है। उक्त विचार विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यकी के अंतर्गत कवि सम्मेलन में बतौर अध्यक्ष जयंत दीक्षित ने व्यक्त किये। साहित्यिकी के संयोजक डॉ. विनोद नायक ने संचालन किया। अतिथि स्वागत सहसंयोजिका हेमलता मिश्र मानवी ने किया।
कवि डॉ. भोला सरवर, गुलाम मोहम्मद खान, आलम, हफीज शेख नागपुरी, तन्हा नागपुरी, डॉ. काशीनाथ जांभुळकर, डॉ. राम मुले, देवयानी बैनजी, कमलेश चौरसिया, रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, उमर अली अनवर, हेमलता मिश्र मानवी, गोपाल व्यास सागर, नरेन्द्र परिहार, स्वप्ना जगदाले, वीणा आडवाणी तन्वी, अमिता शाह, नीलिमा गुप्ता, रूबीदास अरु, मीरा जोगलेकर, विवेक असरानी, शादाब अंजुम, सुदीप्ता बैनर्जी, मजीद बेग मुगल शहजाद, गोपाल सिंह भारती, माधुरी मिश्रा व चंद्रकला भरतिया ने अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। आभार सहसंयोजक शादाब अंजुम ने माना।