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'रिमझिम फुहारों के बीच' उभरते सितारे


नागपुर। गुरु के पास जाकर सुरों को सही समझ के साथ रियाज करने से गाने में सुधार आता है। बच्चों ने पढ़ाई के साथ संगीत में भी रुचि दिखाना जरूरी है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मन को भी खुशी मिलती है। यह विचार शास्त्रीय संगीत के गायक रविंद्र दिवे ने बच्चों के बीच रखे। उन्होंने बच्चों को समझाते हुए राग पहाड़ी, राग मेघ मल्हार, राग बिहाग, राग मालकौंस में बंदिशें भी सुनाई।
 
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का सदाबहार लोकप्रिय पर उपक्रम 'उभरते सितारे' । जिसके अंतर्गत 'रिमझिम फुहारों के बीच' विषय पर शानदार संगीतमय कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें अतिथि के रूप में शास्त्रीय गायक रविंद्र दिवे उपस्थित थे। इनका सत्कार संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। जिसमें सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने सहयोग किया।
 
शुरुआत में कार्यक्रम की प्रस्तावना संयोजक युवराज चौधरी ने रखी। जिसमें उन्होंने, 'रिमझिम फुहारों के बीच' विषय को बचपन के आनंद के साथ विस्तृत रूप से समझाया। तत्पश्चात, बच्चों ने एक से बढ़कर एक अपनी प्रतिभा से मन मोह लिया।  

संपूर्णा रेमंडल और देवयानी धोतरे ने शानदार नृत्य पेश किया। आर्या संदीप भोंगाड़े ने स्टैंडअप कॉमेडी से भरपूर मनोरंजन किया। ओजस्वी नसकर, मिहिका खोत, सुयश मेश्राम, दीपक शहारे, श्रेया हरणे, हर्षाली हरणे, शिवन्या कांबळे, देवांशी पटनायक, भव्या अरोरा, राम बागल, इधा मजूमदार ने बहुत सुंदर गीत सुनाए। 

नवोदित कलाकारों की प्रस्तुतियों को  डॉ. मयुरी खोत, डॉक्टर मुकुंद त्रिवेदी, अलका रूंगटा, मोनिका रेमंडल, सुनिता हरणे, राहुल गुप्ता, बाबा खान, मीनाक्षी केसरवानी, राहुल बोबडे, अलका नसकर,  मधुरा मजूमदार, आशा वेदप्रकाश अरोरा, देवस्मिता मानस पटनायक, प्रीती बागल, प्रीती पाटील, मोनिष कुमार मुले आदि ने बहुत सराहा। 

कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। तथा, उपस्थित सभी दर्शक, अभिभावक, कलाकारों और सुधिजनों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।

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