शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक कल्याण का एकमात्र साधन है योग : रितु ज़रगर
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नागपुर। हमारी जीवन शैली दिन-प्रति-दिन तनावग्रस्त होती जा रही है। खानपान भी पहले जैसा नही रहा। बदलते वातावरण का असर भी स्वाभाविक रूप से मानव पर पड़ रहा है।
शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक कल्याण के लिए एकमात्र साधन योग है। उक्त कथन विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत लघुकथा सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही रितु ज़रगर ने व्यक्त किए।
लघुकथाओं की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ लघुकथा कार इंदिरा किसलय ने कहा- शिव ने तो केवल एक बार विषपान किया लेकिन आज मनुष्य प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा विष पी रहा है। जल, हवा, मृदा में हमने ही बिष घोला है और हम ही पीने को मजबूर है। विश्व पर्यावरण दिवस या विश्व योग दिवस तभी साकार होंगे जब हम पर्यावरण व शरीर शुद्धि के लिए कृत करेंगे।
संचालन संयोजक डॉ. विनोद नायक ने किया। लघुकथाकार डॉ. भोला सरवर, माधुरी राऊलकर, रुबीदास, स्वप्ना जगदले, मीरा जोगलेकर, सुनील निखारे, सुरेन्द्र हरडे, रश्मि मिश्रा, संतोष बुधराजा, शादाब अंजुम, जयप्रकाश सूर्यवंशी, दीपक ज़रगर,, हफीज शेख, नागपुरी, अमिता शाह व इंदिरा किसलय ने अपनी लघुकथाओं से समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रगट किया। आभार शादाब अंजुम ने माना।