साहित्य भारी-भरकम शब्द है : डाॅ. अरुणा पल्टा
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नागपुर/भिलाई। आधुनिक वैश्वीकरण के युग में भी साहित्य कोई हल्का सा शब्द नहीं, बल्कि साहित्य एक भारी-भरकम शब्द है। इस आशय का प्रतिपादन हेमचंद विश्वविद्यालय, दुर्ग, छत्तीसगढ़ की कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा ने किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश एवं स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, आमदी नगर, हुडको, भिलाई, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संस्थान के 27 वें वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन समारोह (16 जून 2023, शुक्रवार) में मुख्य अतिथि व उद्घाटक के रूप में वे अपना उद्बोधन दे रही थीं।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष प्राचार्य डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने सत्र की अध्यक्षता की। कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा ने आगे कहा कि साहित्य वर्तमान और भविष्य की निरंतर चिंता करता है। साहित्य के क्षेत्र में और कार्य करने की आवश्यकता है। महिलाएं जब लिखने लगी तब से महिलाओं की स्थिति में सुधार होता गया।
महिंदी के प्रचार का पौधा संस्थान ने लगाया है, ये बात बहुत ही प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि चवाकुल रामकृष्ण राव, अध्यक्ष, हिन्दी प्रेमी मंडली, हैदराबाद, तेलंगाना ने कहा कि दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाएं तथा हजारों प्रचारक कार्यरत है। हिंदी को सभी राज्यों में अनिवार्य रुप से लागू करने की आवश्यकता है।
संस्थान के सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज ने प्रास्ताविक भाषण में कहा कि 15 जून 1996 को स्थापित यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है। प्रतिमाह 4 आभासी गोष्ठियों से संस्थान की सक्रियता जारी है। संस्थान के अध्यक्ष प्राचार्य डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार व विकास कार्य के उद्देश्य की पूर्ति में संस्थान अपने 27 वर्षों की कालावाधि में पूर्णतः सफल हुआ है।
संस्थान अपनी अभिनव प्रगति के साथ साहित्य, समाज, संस्कृति व राष्ट्रीय एकता में निसंदेह योगदान कर रहा है। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री दीपक शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर संस्थान की वार्षिक स्मारिका ‘विश्व स्नेह समाज’ व श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव के काव्य संग्रह ‘मनलाभ मंजरी’ का विमोचन मंचासीन अतिथियों के द्वारा किया गया।
प्रारंभ में अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन व दीप प्रज्वलन हुआ। सत्र का शुभारंभ लक्ष्मीकांत वैष्णव “मनलाभ,” शक्ति, छत्तीसगढ़ की सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथि परिचय डाॅ. रेशमा अंसारी ने दिया। स्वागत उद्बोधन छत्तीसगढ़ प्रभारी व हिन्दी सांसद डाॅ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने दिया। कु मानसी डावरे, पुणे, महाराष्ट्र ने कोली नृत्य प्रस्तुत किया।
समारोह में संस्थान के उपाध्यक्ष डाॅ. ओम प्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र, उतर प्रदेश, महाराष्ट्र प्रभारी डाॅ.भरत शेणकर, राजूर, महाराष्ट्रय युवा सांसद कार्याध्यक्ष प्रा.रोहिणी डावरे, अकोले, महाराष्ट्र, डाॅ.उपमा दीनबंधु आर्य, लखनऊ, डाॅ. अलका सुरेंद्र पोतदार, पुणे,
उत्तरप्रदेश प्रभारी श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’ रायबरेली, डाॅ. रजिया शेख बसमत, हिंगोली, प्रो. डाॅ. शहनाज अहमद शेख, नांदेड, प्रा. देविदास बामणे, पेण, महाराष्ट्र, नरेंद्र परिहार, नागपुर, प्रा. मधु भंभानी, साक्षी लालवानी,नागपुर; श्रीमती संतोष शर्मा, हाथरस, श्रीमती सीमा निगम, श्रीमती अपराजिता शर्मा, डाॅ. मृणालिका ओझा, रायपुर, श्री रतिराम गढ़ेवाल-रायपुर, श्री दीनबन्धु आर्य-लखनऊ,
सुश्री सीमा रानी प्रधान-छत्तीसगढ़, सुश्री नम्रता ध्रुव-छत्तीसगढ़, डाॅ. किरण बाला पटेल-छत्तीसगढ़, श्री राकेश श्रीवास्तव-रायबरेली, डाॅ. अर्चना चतुर्वेदी-इंदौर की गरिमामयी उपस्थिति रही। सत्र का मंच संचालन डाॅ. सरस्वती वर्मा, महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने किया तथा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई की प्राचार्या डाॅ. हंसा शुक्ला ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।