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साप्ताहिक, छोटे बाज़ारों के तरफ बढ़ रहा आकर्षण



नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। कोरोना महामारी और नोटबंदी के बाद अतिआवश्यक जरूरी खरीदारी के प्रति देशभर में उपभोक्ताओं द्वारा खरीदारी में बदलाव होने लगा है. जहाँ पूर्व में ताजा वस्तुओं की खरीदारी के प्रति छोट छोटे व्यापारी किराना दूकान, साप्ताहिक बाजारों से खरीदारी करने की पारंपरिक प्रथा थी. वह वापस लौटने लगी है. 

जिससे तमाम बिग बाजार, बड़े स्टोर्स में बिकनेवाली पैक्ड एक्सपायरी वाली वस्तुओं पर से भरोसा उठने लगा है. खानपान की वस्तुओं के टिकाऊपन के लिए डाले जानेवाले प्रेज़रवेटिव आने से ताजा अनाज, सब्जियां, लाल मिर्च, खुले तेल, घी आदि खरीदारी की परंपरा पुनः आ रही है. 

हाल ही में देश के अनेक बिग बाज़ारों के बंद होने के बाद खुदरा व्यवसाय को देश में प्रोत्साहन मिलने लगा है. देश के अनेक कॄषि उत्पन्न बाज़ारों में देश के किसान अपनी फसल सीधे व्यापारियों को बेचने पर विश्वास करने लगे है. जिससे देशभर में निर्माण किये गए कृषि उपज मंडियों से व्यापारी फसलों को कम ही खरीद रहे है. 

देशभर के छोटे किसान मेटाडोर और अपने वाहन खरीदकर सीधे व्यापारियों को अनाज, फल, सब्जियां और जरुरी वस्तुएं बिक्री कर रहे है. वैसे भी देशभर की कृषि बाजार की मंडियों शहर के बीच आने से भारी वाहन, ट्रैफिक समस्याएं बढ़ने लगी है. जिससे देशभर के नागरिकों के आवागमन में दिक्कत होने से किसान के फसल बेचने की प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव होने लगा है. 

शहर के लोग अपने आवास के समीप की छोटी किराना दुकान और समीप के साप्ताहिक बाजारों से सब्जियां, फल, अनाज, किराना खरीदी करने के प्रति संतोष जता रहे है. पेट्रोल के निरंतर महंगे होने से अधिकांश देशवासी पैदल चलकर बाज़ारों में खरीदारी करने में जुट गए है.
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