हिंदी महिला समिति ने मनाया पर्यावरण दिवस
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नागपुर। महाराष्ट्र की अग्रणी संस्था हिंदी महिला समिति की सभी बहनों ने बहुत धूमधाम से पर्यावरण दिवस मनाया। सभी शहर की प्रबुद्ध, साहित्यकार तथा कवयित्री महिलाओं के साथ महाराज बाग में प्रकृति की छत्रछाया में। कार्यक्रम की संयोजिका व संचालिका गीता शर्मा रही। निर्देशन अध्यक्षा रति चौबे का रहा।
प्रकृति के सुरम्य, सुंदर वातावरण में कर्ण प्रिय वा सुंदर शिव भजन आरंभ में सभी बहनों ने गाकर अपने विचारों से सबको अभिभूत कर दिए, ढोलक की थाप और हारमोनियम की धुन पे सभी मंत्रमुग्ध हो गए।
सर्वप्रथम भगवती ने पर्यावरण के दिनोदिन होते क्षरण पर चिंता व्यक्त करते हुए पेड़ों की कटाई समाप्त हो और अधिक मात्रा में वृक्षारोपण हो इस बात पर जोर दिया। 'नदियों का पानी पीने लायक बने, ट्यूबवेल को करो कम। सारे संसार का कर्तव्य है, पर्यावरण का सरंक्षण।'
तत्पश्चात रेखा तिवारी ने अपने सटीक विचारों में पर्यावरण को महत्ता को बताया साथ ही अपने खास दिनों पर जन्मदिन हो या सालगिरह जरूर से जरूर हम पेड़ लगाए ऐसी उत्तम विचारधारा रखी।
'सृजन का निर्माण फिर फिर, वक्त की पुकार फिर फिर।'
इसके बाद निशा चतुर्वेदी ने अपने विचारों में अपने घर से ही पर्यावरण संरक्षण की शुरुवात हो और और सभी व्यक्तिगत रूप से पर्यावरण संरक्षण के महत्व को सभी समझे और पहल करें ऐसे विचार रखे।" जब तक जिंदा रहेगा, आशिया दे जाएगा।
कत्ल होगा पेड़ तो भी लकड़ियां दे जाएगा।'
फिर आई सुनीता केसरवानी जिन्होंने कविता के माध्यम से अपने विचार रखें और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया 'एक वृक्ष कटे तो सौ वृक्ष लगाना है , बाढ़ और सूखे पर नही है हमारा जोर, विनाश के बादल फटने की तबाही से बचाना है' ऐसे विचार रखे।
उनके बाद पूनम मिश्रा ने कोरॉना काल की त्रासदी का उदाहरण देते हुए समझाया की उस कालावधि में हमने ऑक्सीजन तक खरीद कर उपयोग में लानी पड़ी, पेड़ों की कमी से ही ऐसी नौबत आई ये विचार रखे।"पर्यावरण कुछ कहता है , ऋतु का चक्र बेहाल सब"।
फिर मंजू पंत ने दिनोदिन बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए हमे पॉलीथीन का उपयोग ना के बराबर करना चाहिए तथा पेड़ो की कटाई को रोकना चाहिए ऐसे विचार रखे। पेड़ लगाएंगे तो ही पृथ्वी बचेगी ऐसा संदेश दिए।" पेड़ लगाओ धरा बचाओ"।
तत्पश्चात रूबी दास ने सुंदर पर्यावरण पर हायकु रचना के द्वारा अपनी बात रखी।" धरा है प्यासी, बादल नाराज है। वृक्ष जो कटे , विषैली हवा, प्रदूषित धरती, जीवन अंत"।
उसके बाद नीता चौबे ने अपने विचारों को प्रदर्शित कर ये बताया कि पर्यावरण संरक्षण ही एकमात्र उपाय है पृथ्वी पर जीवन यापन का रिड्यूस, रिसाइकल तथा री यूज की नीति अपनाने पर जोर दिए "जंगल पेड़ पहाड़ समुंदर , इंसान सबकुछ काट रहा है, छिल छिल कर जमीन टुकड़ा टुकड़ा काट रहा है" ऐसे विचार रखे।
रश्मि मिश्रा ने बढ़ते प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है ऐसे विचार प्रस्तुत किए। 'वृक्षारोपण का संकल्प करके हम आत्मवरण, बचा सकते है अपना दूषित होता पर्यावरण' ऐसे विचार साझा किए।
संतोष बुधराजा ने सुंदर कविता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। "कल कारखानों से जहरीला धुंआ निकल रहा है, धरा का सुंदर रूप भी कुरूप होता जा रहा है"। ऐसे शब्दों से अपने विचारों को प्रतिपादित किया।
अध्यक्षा रति चौबे ने बहुत ही सुंदर मार्मिक काव्य रचना के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को समझाया।" प्रकृति बोली मुझे बचा लो प्रदूषण से, हम ले प्रण तभी बचेंगे प्राण।
पर्यावरण मेरा मूल्य ना घटे रहूं मैं सदाबहार" ऐसे सुंदर शब्दों से पर्यावरण के महत्व को समझाया।
गीता शर्मा ने अपने विचारों में व्यक्त किया की वृक्षों की। पर्याप्त मात्रा पर ही बारिश निर्भर है। हरियाली में ही खुशहाली है, पर्यावरण स्वस्थ होगा तो ही मानव जीवन स्वस्थ होगा, आओ करें जागरूक पहल अपने ही घर से" ऐसे विचार रखे।
हेमलता मिश्र ने सुंदर दोहों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के महत्व को समझाया' जननी वसुधा कह रही ,सुन ले लाल पुकार, तू एक कण हो दे, मैं भर दूं भंडार" ऐसे सुंदर शब्द रचना द्वारा अपने विचार प्रकट किए।
पर्यावरण संरक्षण पर इस सुंदर कार्यक्रम को सफ़ल बनाने हेतु सभी सखियों ने उत्तम सहयोग किए, अंत में आभार प्रदर्शन सरोज जी गर्ग ने किया।