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योग एवं निसर्गोपचार केवल चिकित्सा नहींबल्की स्वस्थ जीवन शैली हैं : डॉ. अनुपमा



नागपुर। योग और निसर्गोपचार ये केवल रोग प्रतिबंधक उपाय या चिकित्सा पध्दती नहीं अपितू यह एक संपूर्ण स्वस्थ जीवन शैली है. अतः हरएक ने जितना हो सके उतना योग और निसर्गोपचारसे जुडना जरूरी हैं, ये विचार रांची से आयीं विख्यात योग एवं निसर्गोपचार विशेषज्ञ डाॅ. अनुपमा वैद्य मिश्रा ने प्रतिपादित किये.
               
संजीवन सोशिओ मेडिकल फाऊंडेशन तथा ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के संयुक्त  तत्वाधान में आयोजित योग महोत्सव में डाॅ. अनुपमा बोल रहीं थी. आकाश, पृथ्वी, जल, वायू तथा अग्नी इन पाच तत्वों से हमारा जीवन चलता है और इन्हीं पाच तत्वों का उपयोग योगा तथा निसर्गोपचार में किया जाता हैं. ये पाच तत्व हमें निसर्ग से प्राप्त होते है. अतः हमें स्वस्थ जीवन हेतू निसर्ग से अधिकाधिक नजदिकी बनाना जरूरी है ऐसा भी डाॅ. अनुपमा ने अपने विषय का विस्तार करते हुये कहा. 'बदलती जीवनशैली से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्यायें और योग तथा निसर्गोपचार से उनका निवारण' यह उनके व्याख्यान का विषय था.
               
प्रारंभ में संजीवन निसर्गोपचार केंद्र के संचालक डॉ. संजय उगेमुगे ने संजीवन केन्द्र तथा ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान की विविध योजनांओं पर प्रकाश डालते हुये प्रस्तावना रखी. अतिथी कापरिचय और संचालन वरिष्ठ डॉ. सरिता उगेमुगे ने किया. कार्यक्रम में जिल्हा आयुष अधिकारी डाॅ. सुरेश मोटे, निसर्गोपचार तज्ज्ञ डाॅ. मांधाता विश्वकर्मा, वरिष्ठ पत्रकार जोसेफ राव, डाॅ. तनुजा नाफडे तथा पूर्व महापौर नंदा जिचकार का सत्कार किया गया.
            
इस अवसर पर ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के सचिव डॉ. राजू मिश्रा, दिलीप कातरकर, सुनील भुते, हिम्मत जोशी, डाॅ. मिलींद वाचनेकर, डाॅ. राखी खेडिकर, वंदना वारके, किरण मोहिते, मधुकर दहिकर, वासुदेवसिंग निकुंभ, श्रीधर नहाते, सुरेश तन्नीरवार, डाॅ. प्रवीण डबली, शरद जिचकार, डाॅ. रश्मी जिरापुरे, मेघा भुते, रमेश गिरडे, अनील बहादुरे, पांडुरंग पाखरे आदी प्रमुखता से उपस्थित थे.
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