विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान ने डाॅ. अलका मुदलियार को किया सम्मानित
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नागपुर/भिलाई। बालभारती, महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल की पूर्व विशेषाधिकारी हिंदी डाॅ. अलका मुदलियार पोतदार का सम्मान विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश एवं स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डाॅ. के.पी. यादव, कुलपति मॅट्स विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) विशिष्ठ अतिथि डाॅ. जयंतीप्रसाद नौटियाल, सेवानिवृत्त उपमहाप्रबंधक राजभाषा, उत्तराखंड विशिष्ठ अतिथि डाॅ. चंद्रशेखर सिंह, विभागाध्यक्ष हिंदी शासकीय महाविद्यालय, रायगढ़ (छत्तीसगढ़) अध्यक्ष डाॅ ओमप्रकाश त्रिपाठी, सदस्य किशोर न्यायालय, सोनभद्र, उ.प्र. और विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष प्राचार्य डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख और सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी द्वारा प्रदान किया गया। इस सत्र का आभार प्रदर्शन डाॅ. हंसा शुक्ला ने किया। दिनांक १६ एवं १७ जून २०२३ के इस कार्यक्रम का उद्धाटन मुख्य अतिथि डाॅ. अरूणा पल्टा, कुलपति हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग (छत्तीसगढ़) प्रमुख अतिथि डाॅ. दीपक शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई और विशेष अतिथि श्री चवाकुल रामकृष्ण राव, अध्यक्ष हिंदी प्रेमी मंडली, हैदराबाद (तेलंगना) द्वारा संपन्न हुआ। आभार प्रदर्शन डाॅ. मुक्ता कौशिक ने किया। सूत्र संचालन डाॅ. सरस्वती वर्मा और श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव ने किया।
डाॅ. अलका मुदलियार पोतदार जन्म दुर्ग में एवं प्राथमिक शिक्षा डोंगरगढ़ में हुयी। आपने प्रावीण्य सूची के साथ स्नातकोत्तर तथा बीएड की उपाधी कल्याण महाविद्यालय, भिलाई से प्राप्त की। तत्पश्चात एक वर्ष केंद्रीय विद्यालय एवं दो वर्ष कल्याण महाविद्यालय में अध्यापन का अनुभव प्राप्त किया। साथ ही कल्याण महाविद्यालय की पूर्व हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. सरोज प्रकाश के मार्गदर्शन में 'हिंदी साठोत्तरी गीतिनाट्यों में जीवन मूल्यों का अनुशीलन' विषय पर पीएचडी प्राप्त की। शिक्षा और अनुभवों के आधार पर बालभारती, पुणे (महाराष्ट्र) में विशेषाधिकारी हिंदी के पद पर आपका चयन हुआ।
अपने कार्यकाल में बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु रचनात्मक कार्य हेतु पाठ्यपुस्तकों में लेखन के नये दृष्टिकोण और विविध प्रयोग करना आपकी विशेषताऍं रहीं। आपकी कार्यशैली में छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र की संस्कृति का समावेश है। हिंदी भाषा पाठ्यपुस्तकों से संबंधित शिक्षकों के मार्गदर्शन हेतु संपूर्ण महाराष्ट्र के उद्बोधन सत्रों में आपका अविरत सहभाग रहा है। आपका बहुआयामी व्यक्तित्व हिंदी भाषा एवं साहित्य को अपने निरंतर मार्गदर्शन से आलोकित करता रहेगा।
आपने विभिन्न राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विषयप्रवर्तक तथा सत्राध्यक्ष के रूप में मार्गदर्शन कार्य किया है। आपने अनेक काव्यगोष्ठियों में काव्य पाठ किया है। हिंदी सेवा एवं साहित्य में उत्कृष्ट कार्य हेतु आपको अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। जिसमें हिमाक्षरा राष्ट्रीय साहित्य परिषद, रायसेन (म.प्र.) द्वारा अद्ययशती अलंकरण, अष्टक्षेत्रीय गौरव पुरस्कार, शिक्षा भूषण गौरव, सृजन सम्मान राष्ट्रीय हिंदी महासंघ, इंदौर (म.प्र.) द्वारा हिंदी सेवी सम्मान गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, दिल्ली द्वारा काकासाहेब कालेलकर पुरस्कार सुरभि साहित्य अकादमी, खंडवा (म.प्र.) द्वारा महादेवी वर्मा पुरस्कार अवधी सांस्कृतिक प्रतिष्ठान, नेपाल द्वारा साहित्य भूषण पुरस्कार सांस्कृतिक मंत्रालय, पटियाला (पंजाब) एवं हिमाक्षरा द्वारा नारी गौरव पुरस्कार साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा - श्री भगवतीप्रसाद देवपुरा स्मृति में साहित्य सौरभ सम्मान संकल्प साहित्य कला मंच एवं माध्यम फाउंडेशन, पूना काॅलेज, पुणे, बहुउद्देशीय संस्था वर्धा, राष्ट्रभाषा प्रचार प्रसार समिति वर्धा, जगदंबी प्रसाद यादव स्मृति संस्थान इत्यादि द्वारा आपका सम्मान किया गया।
हिंदी महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल तथा सातारा जिला हिंदी अध्यापक मंडल, स्वाति कान्हेगावकर, माताचरण मिश्र एवं पूनम शिंदे इत्यादि द्वारा मानपत्र प्रदान किया गया। श्रीमती कृष्णामणिश्री, श्रीमती नीता अग्रवाल, डाॅ. जगदीश प्रसाद शर्मा, श्री जयप्रकाश पांडेय, श्री कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, श्रीमती आशारौतेला मेहरा, डाॅ. रजनीकांत एस शाह, डाॅ. देवीदास बामणे, डाॅ. नजमा मलिक, डाॅ. मृणालिका ओझा आदि ने आपको हार्दिक बधाई दी।